“मुझे ऐसा लगता है कि एक दिन अफग़ानिस्तान में शांति होगी, सब कुछ बेहतर होगा। ऐसा होने पर यहाँ रहने वाले सभी लोग वापस लौटेंगे। हिन्दू से लेकर सिख सभी इस ज़मीन की औलाद हैं, हम भी अफगान हैं।”
सुदर्शन टीवी ने यह भी कहा ज़कात फ़ाउंडेशन को मदीना ट्रस्ट यूके से फंडिंग मिलती है। डॉक्टर ज़ाहिद अली परवेज़ इस ट्रस्ट के एक ट्रस्टी है। परवेज़ इसके अलावा इस्लामिक फ़ाउंडेशन का भी ट्रस्टी है।
खामेनेई ने कहा कि इस्लामिक राष्ट्रों - विशेष रूप से पश्चिम एशियाई देशों में -इस्लाम और संप्रदाय विशेष के खिलाफ पश्चिमी राजनेताओं और नेताओं की शत्रुता को कभी नहीं भूलना चाहिए।
दिल्ली की एक अदालत ने आसिफ़ की जमानत खारिज कर दी थी। आसिफ़ जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय का छात्र है और साल 2014 से स्टूडेंट इस्लामिक आर्गेनाईजेशन (SIO) का सदस्य भी है।