"... पाकिस्तान आने वाले कश्मीरियों का यहाँ हीरो के तौर पर का स्वागत किया जाता था। हम उन्हें प्रशिक्षित करते थे और उनका समर्थन करते थे। हम उन्हें भारतीय सेना से लड़ने वाले मुजाहिदीन मानते थे। वे हमारे हीरो थे।"
नेतन्याहू ने कहा कि अबू-अल अता एक 'Ticking Bomb' था जो पूरे इजरायल में कई आतंकी हमले की साजिश रच रहा था। इसके बाद आतंकी संगठन 'फिलिस्तीनी इस्लामिक जिहाद' ने 200 रॉकेट दाग कर निर्दोषों को निशाना बनाया और बदला लेने की धमकी दी।
जैश-ए-मोहम्मद ने हमले से संबंधित जानकारी और सूचनाओं के लिए 'डार्क वेब' की तकनीक का सहारा लिया, जिसमें सारी बातें इनक्रिपटेड थीं। कोडवर्ड के सहारे चल रही इस बातचीत को डिकोड कर सुरक्षा एजेंसियों ने...
"अगर मुझे जल्दी उत्तर नहीं मिला तो समझना कि स्वीडिश पुलिस और सीमा बल के लिए यह मेरी आखिरी चेतावनी है, वरना अल्लाह की मर्ज़ी से मैं किसी की परवाह किए बगैर इस राजा का सर काट दूँगा, काट कर अलग कर दूँगा, फिर चाहे इसके लिए क्यों न मुझे अपना ही सर कटवाना पड़े।"
बगदादी के बाद आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट की कमान अब्दुल्लाह कार्दश संभालने वाला था। लेकिन अमेरिकी फ़ौज की कार्रवाई में किए गए हमले के दौरान बगदादी के साथ वह भी मारा गया है।
इस विरोध प्रदर्शन के बहाने भारत और हिन्दुओं के प्रति नफरत फैलाने की इस हरकत के पीछे लंदन के कई पाकिस्तानी समर्थन वाले ग्रुप और जेकेेएलएफ यानि जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट की युनाइटेड किंगडम वाली ब्रांच का हाथ है।
"वह एक दहशतगर्द था, जिसने हमेशा लोगों को डराने की कोशिश की। लेकिन अपनी ज़िंदगी के आख़िरी लम्हों में ख़ुद बेहद डरा और घबराया हुआ था। अमरीकी सेना ने उसका पीछा किया और मौत के मुॅंह तक पहुँचाया। वह सुरंग में गिरकर कुत्ते की मौत मरा।"
इराक के सरकारी मीडिया ने एक वीडियो
जारी किया है, इसे अमेरिकी कार्रवाई का बताया जा रहा है। एक रक्षा अधिकारी के हवाले से यह भी कहा गया है कि बगदादी ने हमले के दौरान खुद को उड़ा लिया।
27 अक्टूबर सुबह ट्रंप ने ट्वीट करते हुए किसी बड़ी घटना के होने की जानकारी देते हुए सभी को चौंका दिया। इसी दौरान खबर है कि इस्लामिक स्टेट के सरगना बगदादी के खिलाफ अमेरिका ने कार्रवाई शुरू करते हुए, उसे मार गिराया है।
सबके अंत में एक ही मकसद: कमलेश तिवारी की गर्दन काटनी है। ये किसी व्यक्ति की सोच नहीं है, ये सामूहिक सोच है जो किसी व्यक्ति के माध्यम से फलित होती है। कमलेश तिवारी की हत्या अशफाक और मोइनुद्दीन ने ही नहीं, एक मजहब ने की है जो ऐसे लोगों को रोकना तो छोड़िए, उनकी निंदा तक नहीं कर पाता।