धनबाद में जज उत्तम आनंद की दिनदहाड़े हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए झारखंड के मुख्य सचिव और डीजीपी से एक हफ्ते में रिपोर्ट माँगी की है।
कॉन्ग्रेस के यह फैसले न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर स्पष्ट हमला थे। SC के जजों के निष्कासन को सत्तारूढ़ कॉन्ग्रेस और वाम दलों ने पूरी तरह से सही ठहराया था।
सीएए विरोध के नाम पर हो रही हिंसाओं से चिंतित देश के 154 पूर्व जजों और अधिकारियों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिख कर हिंसा करने वालों के ख़िलाफ कड़ी कार्रवाई की माँग की हैं। साथ ही इन्होंने आशंका जताई है कि इस विरोध के नाम पर प्रदर्शनकारियों द्वारा देश को तोड़ने की साजिश रची जा रही है।
पेशावर हाई कोर्ट ने गायब चल रहे पूर्व राष्ट्रपति, सैन्य जनरल और मुल्क को कारगिल की शर्मनाक हार में झोंकने वाले पूर्व तानाशाह परवेज़ मुशर्रफ़ को मौत की सज़ा सुनाई है। उन पर 3 नवंबर, 2007 को संविधान को निलंबित कर देश में इमरजेंसी थोपने के मामले में देशद्रोह का मुकदमा चल रहा था।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि उन्हें ऐसा नहीं लगता कि न्याय त्वरित रूप से किया जा सकता है या फिर ऐसा होना चाहिए। जस्टिस बोबडे ने कहा कि न्यायिक सुधार की प्रक्रिया जुडिशरी ख़ुद करेगी और इसे सार्वजनिक रूप से करना है या नहीं, इसपर बहस हो सकती है।
कॉन्ग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड को प्रोपेगेंडा किए बगैर चैन नहीं पड़ रहा। उसने खबर यह फैलाई कि सुबह की अज़ान और डेसीबल स्तर के बारे में आया फैसला लागू नहीं किया गया, अतः महिलाओं के सबरीमाला में प्रवेश से संबंधित फैसला भी लागू नहीं होना चाहिए।
महिला अधिकारी को बचाने के दौरान एक एसएचओ व कई पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। हमलावर के बारे में अभी कुछ नहीं पता चल सका है, इसकी जाँच जारी है। इस घटना को संज्ञान में लेते हुए राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयर पर्सन रेखा शर्मा ने जाँच की माँग की है।