अँधेरी रात में दृश्यता न के बराबर थी। मुठभेड़ स्थल भी गाँव के बाहरी हिस्से में था जहाँ से जंगल शुरू होता था। घने पेड़ों के बीच एक घर में आतंकी छिपे हुए थे।
जैसे ही जवान उस आतंकी के पास गए उसने गोलियाँ बरसानी शुरू कर दीं। ये गोलियाँ जवानों को छूते हुए निकल गईं। गामित ने आतंकी को बहुत मौक़ा देना ठीक नहीं समझा।