वामपंथी मंत्री ने एक्टिविस्ट बिंदु अम्मिणी पर हुए हमले को नाटक करार दिया। उन्होंने कहा कि ये सब पूर्व-नियोजित ड्रामा था। बता दें कि बिंदु सबरीमाला मंदिर में प्रवेश करने के लिए जा रही थीं, तभी किसी व्यक्ति ने उनपर मिर्ची स्प्रे से हमला कर दिया था।
"JNU छात्रावास में रहने वाले करीब 6000 छात्रों में से 5371 को फेलोशिप या छात्रवृत्ति के रूप में आर्थिक मदद मिलती है। छात्रावास मेस न हानि न लाभ के सिद्धांत पर चलता है। लेकिन जब तीन करोड़ रुपए बकाया हो तो इनका संचालन कैसे और कब तक होगा?"
"JNUTA प्रदर्शन कर रहे छात्र-छात्राओं को तो अपना समर्थन दे रहा है, मगर जिन शिक्षकों को स्टूडेंट्स ने कुछ दिनों पहले बंधक बनाया था या उनके और उनके परिवारजनों के साथ बदसलूकी की थी, उनके खिलाफ असोसिएशन कोई कार्यवाही तो दूर, निंदा तक नहीं कर रहा।"
गरीबों के बच्चों की बात करने वाले ये भी बताएँ कि वहाँ दो बार MA, फिर एम फिल, फिर PhD के नाम पर बेकार के शोध करने वालों ने क्या दूसरे बच्चों का रास्ता नहीं रोक रखा है? हॉस्टल को ससुराल समझने वाले बताएँ कि JNU CD कांड के बाद भी एक-दूसरे के हॉस्टल में लड़के-लड़कियों को क्यों जाना है?
पटना के इस हनुमान मंदिर का संचालन महावीर ट्रस्ट करता है। पूर्व आईपीएस अधिकारी किशोर कुणाल इसके अध्यक्ष हैं। मंदिरों में दलित पुजारियों की नियुक्ति के सामाजिक परिवर्तन में उनका बड़ा योगदान है। अयोध्या मामले से भी वे जुड़े रहे हैं।
"पुलिस ने मामले की जाँच ठीक से नहीं की और आरोपितों को वामपंथी सरकार का समर्थन प्राप्त है, क्योंकि वे स्थानीय स्तर पर वामपंथी दलों के लिए काम करते थे। और इसी वजह से वो छूट गए।"
भारत में हर जिहादी वामपंथी हो गया है, और वामपंथियों में तो जिहादियों की रक्तधारा तो है ही। इसलिए दोनों सुर में सुर मिला कर चलते हैं। एक जिहादी, जो स्वयं को वामपंथी कहता है, वो अचानक से अपने कपड़े उतार कर मुसलमान हो जाता है क्योंकि उसके मजहब को कुछ लोग कोस रहे हैं।
TMC विधायक परेश पॉल इस दुर्गा पूजा पंडाल का मुख्य आयोजक है। इसी पंडाल से शांति-सद्भाव फैलाने के नाम पर अजान बजाने का मामला सामने आया है। कोलकाता हाईकोर्ट के वकील शांतनु के पास आरती के दौरान अजान बजाने वाला वीडियो...
केरल का कोल्लम कभी काजू उद्योग की वैश्विक राजधानी माना जाता था। यहाँ काजू उद्योग से आने वाले रुपयों से लाइब्रेरी से लेकर होटल तक बने। इतना ही नहीं, दादा साहब फाल्के अवॉर्ड जीतने वाले निर्देशक अडूर गोपालकृष्णन भी इसी उद्योग की वजह से फ़िल्में बना पाए।