याद रहे कि 84 के उलट 48 में भी एक दंगा हुआ था, कॉन्ग्रेसियों ने ही कराया था। इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद जो हुआ, वो लगभग सबको याद है लेकिन 1948 को भी याद रखना जरूरी है, ताकि कॉन्ग्रेस के असली DNA को पहचाने सकें।
पीएम मोदी ने फिल्म जगत की हस्तियों से दांडी में बने गाँधी आश्रम घूमने की भी अपील की। पीएम मोदी ने स्टेच्यू ऑफ़ यूनिटी का भी ज़िक्र करते हुए उपस्थित फ़िल्मी सितारों से आग्रह किया कि वे वहाँ भी ज़रूर जाएँ।
"हमें दुख इस बात का था कि बड़ों की आज्ञा के बिना हम कुछ भी नहीं कर सकते। हम उब गये। हमने आत्महत्या करने का फैसला कर किया। पर आत्महत्या कैसे करें? जहर कौन दे? हमने सुना कि धतूरे के बीज खाने से मृत्यु हो जाती है....."
यह विडम्बना की ही बात है कि जिन मोहनदास करमचन्द गाँधी की तस्वीर पर ‘राष्ट्रद्रोही’ लिखने का आरोप लगाकर पुजारियों का उत्पीड़न हो रहा है, उन्हीं की तरह पुजारियों को अनशन भी करना पड़ रहा है। जब पुजारियों ने खाना-पीना छोड़ दिया तो...
महात्मा गाँधी के 150वें जन्मदिवस के मौके पर जब नेतागण श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए पहुँचे, तो उन्होंने पाया कि वहाँ रखी गई गाँधी से जुड़ी चीजें गायब थीं और गाँधी के पोस्टर पर काले स्केच से लिखा गया था- 'राष्ट्रदोही'।
इससे पहले विवादित बयान देते हुए उन्होंने कहा था, “मुझे यकीन है कि एक दिन मुझे कोई गोली भी मार देगा। मुझे यकीन है कि गोडसे की जो औलाद है वो मुझे ऐसा कर सकते हैं। हमारे मुल्क में अभी भी गोडसे की औलाद हैं।”
"महात्मा गाँधी सिर्फ़ स्वतंत्रता की ही लड़ाई नहीं लड़ रहे थे बल्कि भारतीय सभ्यता के मूल तत्व को आधार बनाकर पश्चिमी सभ्यता की राक्षसी प्रकृति जिसमें दमन, अमानवीयता, संसाधनों की लूट, विस्तारवाद, ताक़तवर होने का अहम, व्यक्तिवाद और ‘हम और तुम’ की खाई अंतर्निहित है, को भी चुनौती दे रहे थे।"
गाँधी के कई नकली बयान आ गए हैं। ये हँसी-मज़ाक के लिए होते हैं। ये गाँधी के असली वक्तव्य नहीं होते। अब ये तो पता ही है कि जीवनपर्यन्त शाकाहारी रहे बापू आपको बटर-चिकन खाने की सलाह तो देंगे नहीं। लेकिन, मीम्स के द्वारा सब संभव है।
"पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी की जयन्ती पर उनकी स्मृति को नमन। वे भारत के एक महान पुत्र थे, जिन्होंने हमारे देश की पूरी लगन और समर्पण के साथ सेवा की। उनकी सादगी, सत्यनिष्ठा और साहसिक नेतृत्व आज भी पूरे देश के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है। "