दी प्रिंट के साथ ही कुछ अन्य मीडिया गिरोहों ने भी कोरोना वायरस पर चक्रपाणि महाराज को हिन्दू महासभा का अध्यक्ष बताते हुए खबर प्रकाशित की है कि वो कोरोना से लड़ने के लिए गोमूत्र पार्टी करने जा रहे हैं, जिससे कि कोरोना वायरस से उपचार मिल सकेगा।
सबा नकवी खुद को पत्रकार कहती हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि सिंधिया के इस्तीफे से कॉन्ग्रेस से ज्यादा उन्हें दर्द हुआ है। भाजपा के खिलाफ अक्सर जहर उगलने वाली सबा नकवी को उम्मीद है कि कमलनाथ सब ठीक कर देंगे।
NDTV की निधि राजदान 'Kashmirosint' नामक ट्विटर हैंडल से अक्सर बातचीत किया करती थीं। अब सामने आया है कि ये ट्विटर अकाउंट आतंकवादियों द्वारा संचालित किया जाता था और इसके द्वारा प्रोपेगंडा व फेक न्यूज़ फैलाया जाता था। दिल्ली दंगों में भी इसका इस्तेमाल किया गया।
इरेना का कहना है कि इसी जलन और हीनता की भावना का शिकार होकर हिन्दू मर्द मुस्लिमों के व्यापार और घरों को नुकसान पहुँचाते हैं, जला डालते हैं- ताकि मुस्लिम महिलाओं को बेइज्जत कर सकें। उन्होंने ये नहीं बताया कि महिलाओं को बुर्के में कैद रखना किस समाज की संस्कृति का हिस्सा है?
दंगाई भीड़ ने बिजेंद्र के घर की छत को ही हमले के लिए बेस बना लिया और वहाँ कब्ज़ा कर लिया। छत पर क़रीब 90 आदमी थे। पत्थर ढो-ढो कर लाए जा रहे थे। मंदिर पर पूरे 6 घंटे तक हमले किए गए लेकिन वामपंथी मीडिया (ख़ासकर न्यूज़लॉन्ड्री) ने "मंदिर पर हमला हुआ ही नहीं" का नैरेटिव गढ़ा।
वे 'देवानंद' बनना चाहते थे, लेकिन बन गए कुंठित पत्रकार। सो, खीझ होनी स्वभाविक है। इसलिए ताज्जुब नहीं होना चाहिए कि राजदीप सरदेसाई को अब रवीश कुमार भी दुकानदार बता रहे हैं। कह रहे हैं मैं उनकी तरह बैलेंसवादी नहीं हूॅं।
शाहीन बाग़ ने अपने चहेते मीडियाकारों के साथ मिलकर रोज थोड़ा-थोड़ा प्रयासों से दिल्ली में हिन्दुओं के खिलाफ नरसंहार की तैयारियाँ शुरू की। बीस साल के दिलबर नेगी की मौत हो, चाहे आईबी अधिकारी अंकित शर्मा का चार सौ बार चाकुओं से गोदा गया शरीर हो, इस सबकी पटकथा शाहीनबाग ने ही आधार दिया इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
वेम्पती ने बीबीसी की योगिता लिमये की उस रिपोर्ट का भी हवाला दिया है जिसमें दिल्ली पुलिस को एकपक्षीय बताया गया है। लेकिन, उस दंगाई भीड़ का जिक्र नहीं है जिसने हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की जान ली।
द प्रिंट के पत्रकार ने कपिल मिश्रा से इंटरव्यू के लिए समय देने की गुहार लगाते हुए कहा कि बीजेपी नेता को हर जगह से ख़ासा समर्थन मिल रहा है। उसने कहा कि वो 'द प्रिंट' में उन पर लेख अथवा प्रोफाइल तैयार करना चाहता है।
'अल जज़ीरा' के 'AJ+' ने लगातार कई ऐसे लेख, वीडियो और ख़बरें प्रकाशित किए हैं, जिससे दिल्ली हिंसा में उसका भी हाथ होने से इनकार नहीं किया जा सकता। इसके माध्यम से भारत ही नहीं, बल्कि यूरोप में भी हिन्दू-घृणा फैलाई जा रही है। उसके कंटेंट्स हिन्दू-घृणा से सने होते हैं।