राजदीप सरदेसाई कॉन्ग्रेस परिवार के प्रति वफ़ादार रहे हैं। इस साल फरवरी में, उन्होंने इंडिया टुडे टीवी में अपने एक शो के दौरान वाड्रा को बेगुनाह साबित करने पर तुले नज़र आए। उन्होंने अपने कार्यक्रम में यह दावा किया था कि......
दरअसल द प्रिंट और शिवम विज का सोचना यह है कि एक दशक पुरानी बात, जब समय और परिस्थितियाँ अलग थीं, उस समय की घटनाओं और परिस्थितियों का हवाला देते हुए आज के समय में वो अपने प्रोपेगेंडा को फैलाने में इस्तेमाल कर सकते हैं।
जहाँ पूरा देश डॉक्टर रेड्डी के साथ हुई जघन्यता के लिए इंसाफ की माँग कर रहा है, 'द क्विंट' इस बात को लेकर चिंतित है कि अब मुख्य आरोपित मोहम्मद आरिफ के जेल जाने के बाद मुख्य अभियुक्त आरिफ के परिवार का गुजारा कैसे होगा? पूरी रिपोर्ट में उसे 'बेचारा' साबित करने की कोशिश की गई है।
हैदराबाद वाला मामला मजहबी नहीं लगता लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मजहबी बलात्कार होते ही नहीं! रवीश जैसों की कोशिश यह है कि इस घटना का इस्तेमाल कर उन तमाम 'रेप जिहाद' की खबरों को चर्चा से गायब कर दिया जाए जहाँ बलात्कारी का मकसद मजहबी घृणा ही है, और कुछ नहीं।
शिवसैनिकों ने उनके स्टूडियो में घुस कर उनकी पिटाई की थी। शिवसेना कार्यकर्ताओं ने निखिल वागले के चेहरे पर स्याही पोत दी थी। उस पिटाई के बाद वागले अक्सर शिवसेना की आलोचना करते मिलते थे। बाल ठाकरे ने वागले की पटाई करने वाले शिवसैनिकों की सराहना की थी।
इससे पहले फेसबुक और ट्विटर पर आपत्तिजनक पोस्ट शेयर करने के आरोप में लखनऊ पुलिस ने 8 जून 2019 को स्वतंत्र पत्रकार प्रशांत जगदीश कनौजिया को उसके आवास से गिरफ्तार किया था।
बरखा दत्त ने एक इंटरव्यू में कबूल किया था कि मुंबई हमले के दौरान टीवी चैनलों और उनके पत्रकारों ने जिस तरह की रिपोर्टिंग की उससे सैकड़ों लोगों की जान ख़तरे में आ गई थी। यहॉं तक कि सुरक्षा बलों के जवानों की जान भी ख़तरे में पड़ गई थी।
आजतक और न्यू इंडियन एक्सप्रेस जैसे मुख्यधारा के मीडिया संस्थानों का अलावा नेशनल हेराल्ड जैसे प्रोपेगंडा पोर्टल्स तक, सबने झूठ फैलाया। पत्रकार राजदीप सरदेसाई और कॉन्ग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला भी नहीं चूके।
बिहार और कश्मीर के मुस्लिम छात्रों के बीच झगड़ा हुआ। वायर का दावा है कि कश्मीरी छात्रों को आतंकी कहा गया। लेकिन, एफएआईआर में इसका कोई जिक्र नहीं है। पुलिस ने भी इस दावे को झूठा करार दिया है।