उत्तर-पूर्व के रहवासियों की समृद्धि भारत के विकास की धुरी है। यह भारत की एकता, अखण्डता, शांति और सुरक्षा की आधारशिला है। विगत कुछ वर्षों से पूर्वोत्तर में बुनियादी अवसंरचना, समावेशी विकास और शान्ति-वार्ता के स्तर पर तीव्र परिवर्तन दिखाई दे रहा है।
राजनीतिक हिंसा के लिए कुख्यात बंगाल की सरकार विकास परियोजनाओं को लेकर भी उदासीन है। राज्य में 1974 में 110 किमी लंबी एक रेल परियोजना शुरू हुई। आप जानकर हैरत में रह जाएँगे कि 46 साल में यह परियोजना महज 42 किमी ही पूरी हो पाई है।
इटली से लाई गई एक युवती के पिता ने अपनी भावना साझा करते हुए कहा है कि वो सालों से सरकार की आलोचना कर रहे थे। लेकिन, अब उन्हें एहसास हो रहा है कि मोदी सरकार पिता के साए (fatherly figure) जैसी है।
भारत में 'वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाईजेशन' के प्रतिनिधि हक बेकेडम ने कहा कि कोरोना वायरस के खतरों से निपटने के लिए भारत सरकार और ख़ासकर प्रधानमंत्री कार्यालय की प्रतिबद्धता असाधारण किस्म की रही है। उन्होंने भारत के प्रयासों को प्रभावशाली करार दिया।
"मैं सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों से पूरी तरह से संतुष्ट हूँ। विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन हो रहा है, जो इस जानलेवा वायरस से लड़ने के लिए बेहद जरूरी है।"
सार्क में भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, नेपाल और अफगानिस्तान शामिल हैं। शुक्रवार को प्रधानमंत्री ने विडियो कॉन्फ्रेंस का प्रस्ताव दिया था। इसको लेकर सार्क देशों ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दिखाई थी।
भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम अन्य विकसित देशों की तुलना में कहीं बेहतर नजर आ रहे हैं। हालाँकि कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी ऐसा नहीं मानते हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है लेकिन वो इसे लेकर भारत सरकार का विरोध करना चाहते हैं।
पीएम मोदी ने अपनी वर्ल्ड लीडर की छवि के अनुसार, दक्षिण एशियाई देशों के संगठन दक्षेस (SAARC) में शामिल देशों से आह्वान किया है कि सभी आठ राष्ट्राध्यक्ष विडियो कॉन्फ्रेसिंग से जुड़कर कोरोना के खिलाफ एकजुट लड़ाई पर चर्चा करें।
अब तक पूरे देश में कोरोना वायरस से जुड़े 73 मामले सामने आ चुके हैं। उधर लोकसभा में सरकार ने देशवासियों को आश्वस्त किया है कि वह कोरोना वायरस के कारण विदेशों में फँसे भारतीयों को किसी भी कीमत पर भारत लाने के लिए प्रतिबद्ध है।
"जम्मू कश्मीर की पिछली राज्य सरकारों ने जनगणना के तहत कश्मीर संभाग की आबादी और जमीन ज्यादा बताई। जबकि जम्मू की आबादी और जमीन कश्मीर से ज्यादा है। ऐसे में अगर 2011 की मतगणना के तहत ही परिसीमन आयोग का गठन किया गया तो फिर जम्मू संभाग को कोई फायदा नहीं होगा और जैसा चल रहा है, वैसा ही चलता रहेगा।"