OSD in PMO नियुक्त हुए पीके सिन्हा यूपी कैडर के अफसर हैं। अर्थशास्त्र में स्नातक और परास्नातक करने वाले सिन्हा ऊर्जा और जहाजरानी मंत्रालयों में सचिव भी रह चुके हैं। कैबिनेट सचिव के तौर पर 2017 और 2018 में एक-एक साल का विस्तार पाने के बाद जब उन्हें जून में तीसरा सेवा-विस्तार मिला तो.....
झुठलाने को इसे भी "IT सेल वालों ने रेड मार दी" कहकर झुठलाने की भरसक कोशिश की गई, ठीक उसी तरह जैसे कॉन्ग्रेस दीवार पर लिखी लोकसभा नतीजों की इबारत को आखिरी समय तक EVM पर सवाल उठाकर झुठलाने की कोशिश करती रही। लेकिन...
सरकार वित्तीय घाटे को जीडीपी का 3.3% रखने का लक्ष्य लेकर चल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस रेकॉर्ड ट्रांसफर से सरकारी बैंकों में कैपिटल डाले जाने की उम्मीद है। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर और शेयर बाजार को भी बूस्ट मिलने की संभावना है।
सेवानिवृत्त किए गए सभी अधिकारी दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, मेरठ और चेन्नई टैक्स यूनिट से जुड़े हुए हैं। एक पर कथित रूप से दुबई से 1224 ग्राम सोना लेकर आए एक युवक से दिल्ली हवाई अड्डे पर 58 ग्राम सोना लेने का भी आरोप है।
"मुझे पूरा भरोसा है कि आने वाले समय में केंद्र इस पर (आर्थिक मंदी पर) ठोस कदम उठाएगा। जो भी कदम केंद्र उठाएगा, दिल्ली सरकार का उन्हें पूरा समर्थन मिलेगा। मैं नौकरियों के खोने को लेकर व्यक्तिगत रूप से चिंतित हूँ।"
केन्द्र शासित प्रदेश बनने के बाद देश के अन्य प्रदेशों की विधानसभा की तरह ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल भी पॉंच साल ही होगा। जब तक गुलाम कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं बनता सदन की 24 सीटें खाली रहेंगी। यूटी लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी।
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बताया कि इस बार कुल 35 बैठकें हुईं और 104.92 प्रतिशत कामकाज हुआ। वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यह 1952 के बाद सबसे स्वर्णिम सत्र रहा है। इसमें 134 फीसदी कामकाज हुआ।
महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए केंद्र सरकार ने वर्तमान जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया है। इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश बन गया है। इस तरह मोदी सरकार ने राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का निर्णय लिया है: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख।
महबूबा मुफ़्ती ने केंद्र से सवाल किया कि यात्रियों, पर्यटकों और छात्रों को कश्मीर से जाने को कहा गया है, कश्मीरियों को राहत देने की कोशिश नहीं की जा रही है। कहाँ गई इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत?”
जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल ने बताया कि पिछले पाँच महीनों में घुसपैठ की कोई घटना नहीं हुई है। कुछ खबरों के मुताबिक सेना के अफसरों ने भी इस बात की पुष्टि की है। ऐसे में तो सैनिकों को वापस लेने की बात होनी चाहिए, क्योंकि खतरा घट रहा है फिर 38,000 सैनिकों को वहाँ भेजने की वजह क्या हो सकती है?