सबूत मिटाने के लिए आरोपित ने दोनों माँ-बेटी के शव को टंकी में डाल दिया और फिर शव को जल्दी सड़ाने के लिए टंकी में सोडा-नमक भी डाल दिया। अगले दिन उसने मकान मालिक को दोनों माँ-बेटी के गायब होने की जानकारी दी और उन्हें तलाश करने के नाम पर वहाँ से भाग गया।
अपने ही गाँव की एक लड़की से प्रेम करना युवक को महँगा पड़ गया। दोनों के रिश्ते के बारे में मालूम पड़ते ही लड़की के अब्बा आशिक और उसके ममेरे भाई अशरफ ने मिलकर उसे पहले मौत के घाट उतारा और बाद में उसकी मौत को दुर्घटना में बदलने के लिए उसके शव को...
शाहीन बाग़ के एक प्रदर्शनकारी ने मृत बच्ची के सम्बन्ध में पूछे गए सवाल के जवाब में कहा- "वो अल्लाह की बच्ची थी, अल्लाह ने उसे बुला लिया।" कितनी आसानी से एक इंसानी ग़लती को उपरवाले के सिर मढ़ दिया गया और कोई मीडिया आउटरेज भी नहीं। उस बच्ची ने क्या अपनी सहमति दी थी कि मुझे सीएए-NRC के विरोध में प्रदर्शन करने ले चलो?
कालिंदी ने मीडिया में चल रही उन बातों से भी इनकार किया, जिनमें कहा जा रहा है कि उनके घर में घरेलू विवाद चल रहा था। उन्होंने उन मीडिया ख़बरों को भी नकार दिया, जिनमें रंजीत की तीन शादियाँ होने की बातें कही जा रही थी।
पुलिस रंजीत बच्चन के सोशल मीडिया अकाउंट्स खँगाल रही है। कमलेश तिवारी हत्याकांड के 3 आरोपित हाल ही में जमानत पर बाहर निकले हैं। कमलेश को सोशल मीडिया के जरिए फँसाया गया था। रंजीत के हत्या की भी इस कोण से जाँच हो रही है।
रंजीत बच्चन मूल रूप से गोरखपुर के रहने वाले थे। सुबह की सैर के वक्त उनकी हत्या की गई। घटना में उनके भाई भी घायल हुए हैं। उनके हाथ में गोली लगी है। बीते साल लखनऊ में ही हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की हत्या कर दी गई थी।
शाहरुख ने बताया कि वह करीब 12 साल पहले असलम के पड़ोस में रहता था। तभी से असलम की बीवी से प्यार करता था। उसे पाने के लिए उसने असलम को रास्ते से हटाने की योजना बनाई।
CAA समर्थन रैली पर मुस्लिमों ने हमला किया, जिसमें घायल हुए नीरज प्रजापति की रिम्स में मृत्यु हो गई। ऑपइंडिया ने उनके परिवार की मदद के लिए क्राउडफंडिंग का सहारा लिया, जिसके बाद लोगों ने 15 लाख रुपए का अब तक सहयोग किया है। सोरेन सरकार ने कोई मुआवजा नहीं दिया।
भाजपा के कार्यकर्ताओं ने त्रिची के सरकारी अस्पताल के बाहर हत्या के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन करते हुए आरोपितों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई करने की माँग की। हालाँकि, पुलिस के आश्वासन पर आंदोलनकारियों ने विरोध-प्रदर्शन वापस ले लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की वकील को हडकाते हुए ये भी कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट का कोई फैसला दिखाएँ, जिसमें जेल के अच्छे आचरण के कारण फाँसी की सज़ा को कम किया गया हो।