कॉमन मिनिमम प्रोग्राम से स्पष्ट है कि शिवसेना ने हिंदुत्व के एजेंडे पर समझौता किया है। वह वीर सावरकर को भारत रत्न देने की माँग से पीछे हट गई है। मुस्लिमों को अतिरिक्त आरक्षण पर भी उसे आपत्ति नहीं रही।
NCP के एक नेता का कहना है कि जब तक तीनों पार्टियाँ- कॉन्ग्रेस, NCP और शिवसेना, सरकार में शामिल नहीं हो जातीं, तब तक कोई स्थिरता नहीं आएगी। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि कॉन्ग्रेस सरकार का हिस्सा हो।"
कॉन्ग्रेस और एनसीपी के सहयोग से सरकार बनाने को लेकर उत्साहित शिवसेना को तगड़ा झटका लगा है। सोनिया गॉंधी ने उसे समर्थन देने को लेकर आखिरी पलों में पत्ते खोलने से इनकार कर दिया। इसके बाद गवर्नर ने एनसीपी को बुलावा भेजा।
निरुपम ने कहा है कि अल्पकालिक अवधि के लिए हम सरकार तो बना सकते हैं। जनता से कह भी सकते हैं कि राज्य के विकास के लिए इस तरह का कदम जरूरी था। लेकिन वैचारिक स्तर पर जिस पार्टी से हमारा दशकों विरोध रहा है उन सवालों का जवाब चुनावों में कैसे दे सकते हैं।
"शिवसेना के फ़ैसला लेते ही सब कुछ तय हो जाएगा क्योंकि ठाकरे को समर्थन देने को लेकर कॉन्ग्रेस में कोई अंदरूनी विवाद नहीं है। शिवसेना जब से भाजपा के साथ गई, तभी से उसने धर्म की राजनीति शुरू की है। भाजपा का साथ छोड़ते ही उसकी विचाधारा बदल जाएगी।"
कॉन्ग्रेस की सहयोगी पार्टी एनसीपी के नेता ने कहा कि उनका व्हाट्सएप्प हैक किए जाने की सारी ख़बरें आधारहीन हैं। इस तरह उन्होंने कॉन्ग्रेस के आरोपों की पोल खोल दी। इसके बाद कॉन्ग्रेस समर्थक तीन महिला पत्रकारों ने प्रफुल्ल पटेल के इस बयान पर चर्चा की।
मुख्यमंत्री फडणवीस ने भाजपा विधायकों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि पार्टी ने उन पर दोबारा भरोसा जताया है। साथ ही सीएम फडणवीस ने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे को भी धन्यवाद दिया। महाराष्ट्र के राजनीतिक घटनाक्रम पर...
“हम मानते हैं कि जनता ने हमें सरकार बनाने का आदेश नहीं दिया है। कॉन्ग्रेस के साथ गठबंधन करना हमारी मजबूरी थी। अकेले चुनाव लड़ना संभव नहीं था। इस चुनाव में पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, सीएम फडणवीस और उद्धव ठाकरे ने काफी मेहनत की है।”