हाल में बिहार के गया से JMB का कुख्यात आतंकी एजाज़ अहमद गिरफ़्तार किया गया था। उसके पास से भारी मात्रा में जिहादी दस्तावेज़ मिले थे। वह अरसे से गया में वेश और नाम बदलकर रह रहा था। सूत्रों ने बताया की वह बड़े हमले की फ़िराक में था।
इस मामले में 31 लोग आरोपी हैं। इनमें से 19 ने 12 अगस्त को अदालत के सामने अपना जुर्म कबूल करने की इच्छा जताई थी। इन्होंने बुधवार को अपना कबूलनामा अदालत में दाखिल कर दिया। इन्हें शुक्रवार को सजा सुनाई जाएगी।
मुंबई हमलों का साज़िशकर्ता हाफिद सईद द्वारा संचालित संस्था फलाह-ए-इंसानियत के डेप्युटी चीफ शाहिद महमूद और अन्य लोगों के खिलाफ एनआईए ने पिछले वर्ष मामला दर्ज किया था। टेरर फंडिंग के मामले में रिश्वत की माँग की गई थी।
कुछ दिन पहले जाँच एजेंसी को शेख के इंदौर के आजाद नगर थाना क्षेत्र के कोहिनूर कालोनी में होने की खबर मिली। जब जाँच की गई तो पता चला आतंकी वहाँ रहकर मजदूरी करता है। जिसके बाद एजेंसी के अधिरापी भी सब्जी वाले की वेशभूषा में आकर उसकी धड़-पकड़ में जुट गए।
जाँच एजेंसी ने बर्दवान धमाके को भारत में JMB की बड़ी साज़िश का हिस्सा बताया था। उसके मुताबिक भारत में लोगों को उग्रवाद की ओर मोड़ने, उनकी JMB में भर्ती और उन्हें ट्रेनिंग और हथियार मुहैया कराने के मकसद से हो रहे इस ऑपरेशन का अंतिम ध्येय भारत और बांग्लादेश में आतंक फ़ैलाने और इन देशों की लोकतान्त्रिक ढंग से चुनी गई सरकारों के खिलाफ जंग छेड़ना था।
अलगाववादियों के लश्कर और हिज्बुल जैसे आतंकी संगठनों के साथ सम्बन्ध सामने आए हैं। ईडी को पता चला है कि अलगाववादियों, आतंकियों व कश्मीरी नेताओं के पास पाकिस्तानी उच्चायोग से भी सीधे फंड पहुँचाया गया।
NIA की टीम ने उत्तरी कश्मीर के बारामूला ज़िले में चार व्यापारियों के घर छापा मारा। इनमें अलगाववादी नेता सज्जाद लोन के क़रीबी व्यापारी आसिफ़ लोन, तनवीर अहमद, तारिक अहमद और बिलाल भट शामिल हैं।
इस्लामिक संगठन ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) आतंकवाद विरोधी अभियानों के नाम पर समुदाय विशेष के घरों में छापेमारी करके उनकी छवि को धूमिल कर रही है।
NIA का दावा है कि भट के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से बेहद करीबी संबंध थे और उसने अपने अखबार में लिखने के लिए कई जिहादी पत्रकारों को भी नौकरी पर रखा हुआ है। उनमें से कुछ पत्रकार अब कथित रुप से कश्मीर के प्रेस क्लब के कार्यकारी सदस्य हैं।
NIA के मुताबिक, उन्होंने मस्जिद का निर्माण, मज़हबी शिक्षा के लिए मदरसा और मजहब की गरीब लड़कियों की शादी के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने जैसे इस्लामी काम की आड़ में अपनी साजिश में अंजाम देने की साजिश रची थी।