सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नीरव की मानसिक सेहत को लेकर लगाई गई याचिका को ठुकरा दिया। साथ ही ये मानने से इंकार किया कि नीरव मोदी की मानसिक स्थिति और स्वास्थ्य प्रत्यर्पण के लिए फिट नहीं है।
लंदन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में बचाव पक्ष के गवाह के तौर पर शुक्रवार को पेश हुए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा कि नीरव मोदी को भारत में निष्पक्ष ट्रायल नहीं मिल पाएगा।
नीरव मोदी PNB से जुड़े दो अरब के धोखाधड़ी और धनशोधन मामले में भारत को प्रत्यर्पित किए जाने के ख़िलाफ़ केस लड़ रहे हैं। नीरव को लंदन में वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट की कोर्ट के समक्ष पेश किया गया था, जहाँ उनके ख़िलाफ़ अगले साल मई में मुक़दमें की सुनवाई शुरू होगी।
अदालत में जमानत याचिका दाखिल कर नीरव मोदी ने याचना की कि उसे बेचैनी और डिप्रेशन (अवसाद) की दिक्कत है, इसलिए बेहतर होगा कि जेल से बाहर निकाल कर घर ही में नज़रबंद रखा जाए।
ED ने बताया था कि PNB घोटाले के खुलासे के बाद नेहाल ने दुबई और हॉन्गकॉन्ग में स्थित नीरव मोदी की कंपनियों के डमी निदेशकों के मोबाइल फोन नष्ट किए थे और उन्हें दूसरे देश पहुँचाने की व्यवस्था की थी। इस साल की शुरुआत में ही ईडी ने इंटरपोल से अनुरोध किया था कि नेहाल के ख़िलाफ़ रेड कॉर्नर नोटिस जारी करें।
PNB बैंंक को करोड़ों रुपए का चूना लगाकर भागने वाले नीरव मोदी को प्रत्यर्पित कर भारत लाने की कोशिश में केंद्रीय एजेंसियाँ जुटी हुई हैं। ब्रिटेन की पुलिस ने नीरव मोदी को 19 मार्च 2019 को होलबोर्न से गिरफ़्तार किया था। उसके बाद से ही वो पुलिस हिरासत में है।
13000 करोड़ रुपए के बैंक फ्रॉड का आरोपित 48 वर्षीय भगोड़ा हीरा कारोबारी नीरव मोदी अभी साउथ-वेस्ट लंदन के वांड्सवर्थ जेल में बंद है। वहाँ उसकी हिरासत अवधि 27 जून तक बढ़ा दी गई है। उसे 19 मार्च को गिरफ्तार किया गया था।