"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विवादित बयान देने के लिए अपने नेताओं को खुली छूट दे रखी है। सीएम ने ख़ुद ही लोकसभा चुनाव के दौरान अपना मतदान करने के बाद विवादित बयान दिया था। उस वक़्त उन्हें ये कहने की क्या ज़रूरत थी कि जदयू अनुच्छेद 35A और 370 हटाने के मामले में भाजपा का समर्थन नहीं करती?
आलोक रंजन ने ये भी कहा कि इस अस्पताल के पीछे अज्ञात शवों को फेंकने की प्रक्रिया काफी समय से चल रही है। उन्होंने बताया कि अस्पाल के बिल्कुल पास में शवदाह गृह होने से गलतफहमी हो जाती है। इसलिए अब प्रशासन ने तत्काल प्रभाव से शवदाह गृह को दादर घाट शिफ्ट करने का फैसला किया है।
SKMCH के सुपरिंटेंडेट डॉक्टर सुनील कुमार शाही ने बताया, “पोस्टमार्टम डिपार्टमेंट प्रिंसिपल के अधीन होता है, लेकिन इसे मानवीय तरीक़े से किया जाना चाहिए। मैं प्रिंसिपल से बात करूँगा और उन्हें इस मामले में जाँच कमिटी गठित करने के लिए कहूँगा।”
हॉस्पिटल का नाम, बीमारी का नाम, जगह का नाम, किसकी गलती है आदि बेकार की बातें हैं, क्योंकि सौ से ज़्यादा बच्चे मर चुके हैं। इतने बच्चे मर कैसे जाते हैं? क्योंकि भारत में जान की क़ीमत नहीं है। हमने कभी किसी सरकारी कर्मचारी या नेता को इन कारणों से हत्या का मुकदमा झेलते नहीं देखा।
आज बिहार लाचार है। बिहार के ग़रीब परिवारों के सामने उनके बच्चों की जानें जा रही हैं और सरकारें हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं। आज बिहार के इन ग़रीबों की सुनने वाला कोई नहीं है। अस्पताल के अधिकारी भी इन्हें फटकार रहे हैं। 93 मौतों वाली भयंकर त्रासदी।
11 तारीख़ को आलोक ने ट्विटर पर एक पोस्ट किया था। इस पोस्ट में उन्होंने बांग्लादेशी शरणार्थियों के मुद्दे पर गृह मंत्री अमित शाह पर तंज कसा था। साथ ही एक ट्वीट में उन्होंने बीएसएफ अधिकारियों पर भी निशाना साधा था।
पूर्व में बेटे या बेटियों द्वारा प्रताडि़त किए जाने वाले माता-पिता को न्याय के लिए जिलों के परिवार न्यायालय में अपील करने जाना होता था। वहाँ पर सुनवाई प्रधान न्यायाधीश के स्तर पर होती थी। नए नियमों के मुताबिक, अब माता-पिता जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित अपील अधिकरण में अपील करेंगे।
"कितनी खूबसूरत तस्वीर होती जब इतनी ही चाहत से नवरात्रि पे फलाहार का आयोजन करते और सुंदर सुदंर फ़ोटो आते??...अपने कर्म धर्म में हम पिछड़ क्यों जाते और दिखावा में आगे रहते हैं???"
कुल 8 नए मंत्री बनाए गए, जिनमें लोजपा के पशुपति कुमार पारस के सांसद बन जाने के बाद खाली हुई जगह भी शामिल है, लेकिन भाजपा के अलावा लोजपा के भी किसी विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया।
प्रज्ञा ठाकुर ने विवादित बयान देते हुए महात्मा गाँधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त करार दिया था। उन्होंने कहा था कि वो देशभक्त थे, देशभक्त हैं और देशभक्त रहेंगे। हालाँकि प्रज्ञा ने अपने इस बयान के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी माँग ली थी।