नोटिस के बाद 50% से अधिक पूर्व सांसदों ने सरकारी आवास खाली कर दिया था। बावजूद इसके 82 ऐसे पूर्व सांसद हैं , जो सरकारी आवास खाली करने का नाम ही नहीं ले रहे हैं। नियमानुसार, दोबारा चुन कर न आए सांसदों को लोकसभा भंग होने के एक महीने के भीतर सरकारी आवास खाली करना होता है।
जब 1977 में जॉर्ज फर्नांडीस ने जेल से लोकसभा चुनाव के लिए नामांकन भरा तो सुषमा ही दिल्ली से मुजफ्फरपुर पहुॅंचीं और हथकड़ियों में जकड़ी जॉर्ज की तस्वीर दिखा प्रचार किया। उन दिनों 'जेल का फाटक टूटेगा, जॉर्ज हमारा छूटेगा' का उनका दिया नारा सबकी ज़ुबान पर था।
सुषमा स्वराज ने ट्विटर डिप्लोमेसी का दरवाजा खोला। ट्विटर पर सक्रिय रहते हुए लोगों की मदद करना इतना चर्चित हुआ कि वाशिंगटन पोस्ट ने उन्हें 'सुपरमॉम ऑफ द स्टेट' कहा। उनके देहांत के साथ ही भारतीय राजनीति का एक शालीन अध्याय समाप्त हो गया है।
कान्ग्रेस के एक नेता ने बताया कि ज्यादातर नेता चाहते हैं कि सिद्धरमैया विपक्ष का नेता बनें। जनाधार होने के साथ-साथ उन्हें वित्त सहित राज्य के अन्य मसलों की गहरी जानकारी है। पार्टी कार्यकर्ता भी सिद्धरमैया को ही इस पद पर देखना चाहते हैं।
नासिर का छेनू पहलवान के साथ गैंगवार चल रहा था। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में 2015 में हुए इस गैंगवार में 17 लोगों की हत्या हुई थी। इस गैंगवार में कड़कड़डूमा कोर्ट में दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल की भी हत्या कर दी गई थी।
पिछले साल जॉनसन का उनकी गर्लफ्रेंड कोरी साइमंड्स के साथ प्रेम संबंध सार्वजनिक हो गया था। जिसके बाद उनकी भारतीय मूल की पत्नी मरीना व्हीलर ने तलाक की अर्जी दी थी।
राज्यपाल ने स्पीकर को पत्र लिखकर गुरुवार को ही विश्वासमत परीक्षण कराने पर विचार करने को कहा था। फिर भी स्पीकर रमेश कुमार ने बिना विश्वासमत परीक्षण कराए विधानसभा की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी।
225 सदस्यीय विधानसभा में कॉन्ग्रेस के 79, जदएस के 37, बीजेपी के 105, दो निर्दलीय, एक बीएसपी का विधायक है। इनमें से कॉन्ग्रेस के 13 और जदएस के तीन विधायक इस्तीफा दे चुके हैं।
कानून के शासन और नैतिकता, मूल्यों, आदर्शों की बातें करने वाली योगी सरकार क्या जनता के लिए अलग और अपने विधायक के लिए अलग मापदंड अपनाएगी? नेताजी के लिए “भीड़” का समर्थन आएगा, इस डर से नेताजी को छोड़ा भी जा सकता है! या फिर नेताजी भी वैसे ही जेल जाएँगे जैसे इस मामले में कोई साधारण व्यक्ति गया होता?
खम्भात पर हुए 1299 के आक्रमण में अलाउद्दीन खिलजी के एक सिपहसालार ने काफूर को पकड़ा था। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि उसे 1000 दीनार की कीमत पर खरीदा गया था, इसीलिए काफूर का एक नाम 'हजार दिनारी' भी था।