योगेश्वर दत्त ने जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी व उसके छात्रों को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस यूनिवर्सिटी में मजहब के आधार पर आरक्षण दिया जाता है, वही यूनिवर्सिटी अब सेकुलरिज्म के लिए लड़ने का दावा कर रही है। दत्त ने इसे दोहरा रवैया करार दिया।
प्रोफेसर ने इस घटना को याद करते हुए कहा कि वो काफ़ी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस घटना ने उन्हें बुरी तरह डरा दिया है। वे सदमे में हैं।
बीते 3 महीने में 750 फ़र्ज़ी आईडी कार्ड बरामद किए गए हैं। इससे पता चलता है कि जामिया में हिंसा की साज़िश लंबे समय से रची जा रही थी। हिंसा भड़काने की तैयारी काफ़ी पहले से थी और संशोधित नागरिकता क़ानून के रूप में उन्हें एक नया हथियार मिल गया।
सबसे ज्यादा हिंसा पश्चिम बंगाल में हुई। उसी तरह पूर्वोत्तर में भी ऐसे कई विरोध प्रदर्शन हुए। असम में उपद्रवियों के ख़िलाफ़ 136 केस दर्ज किए गए हैं और कुल 190 आरोपितों को गिरफ़्तार किया गया है। इनमें से कई ऐसे लोग हैं, जो तरह-तरह के संगठनों से जुड़े हैं
दिल्ली के जामिया नगर में जहॉं यह यूनिवर्सिटी स्थित है जिहादी नारे लगाए गए। कथित प्रदर्शनकारी 'हिंदुओ से लेंगे आजादी, छीन के लेंगे आजादी और लड़ के लेंगे आजादी' जैसे नारे लगा रहे थे। हिंसा भी हुई। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए करीब 50 छात्रों को हिरासत में लिया। हालॉंकि देर रात उन्हें छोड़ दिया गया।
सिसोदिया ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने बसों में आग लगाई है। लेकिन जो फोटो शेयर की उसमें पुलिस आग बुझाती हुई दिख रही है। जहाँ यह घटना हुई वहाँ जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र प्रदर्शन कर रहे थे और आप विधायक अमनतुल्लाह ख़ान भी वहाँ देखे गए थे।
प्रदर्शन के दौरान जहाँ हिंसक घटना हुई, वहाँ AAP विधायक अमानतुल्लाह ख़ान भी मौजूद थे। एक तरफ केजरीवाल ऐसी घटना को अस्वीकार्य बता रहे हैं, दूसरी तरफ उनके MLA पर हिंसक भीड़ की अगुवाई करने के आरोप लग रहे हैं।
कल को हो सकता है कि कोई उसके समुदाय के बारे में लिख दे। इस तरह से तो सभी आपस में जाति को लेकर लड़ बैठेंगे। उन्होंने 'ये मेरा भारत नहीं' वाले गैंग पर निशाना साधते हुए कहा कि वो लोग देश तो नहीं छोड़ेंगे लेकिन यहाँ रह कर आपस में लड़ते-लड़ाते ज़रूर रहेंगे।
छात्रों ने सिक्योरिटी गार्ड को भी धमकी दी। जब गार्ड ने छात्रों के बात करने के रवैये पर ऐतराज जताया तो एक छात्रा ने उसे चुप रहने की हिदायत देते हुए कहा कि सिक्योरिटी गार्ड बात नहीं करेगा। छात्रों ने लैब के एंट्रेंस पर पोस्टर भी चिपका रखे थे।
इशारा साफ़ था, हमारी हैसियत बन्दूक खरीदने की है, हमने चाहा तो पत्रकारों को मार देंगे। इससे पहले भी लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की आज़ादी की दुहाई देने वाले जेएनयू के छात्रों ने रिपब्लिक भारत के मीडियाकर्मियों से काफी बदतमीजी की थी।