लिबरल-वामपंथी गैग कहती है कि लव जिहाद जैसा कुछ नहीं है... अगर ये सच है तो फिर क्यों नाम छिपा कर लड़कियों को फँसाया जाता है और फिर उनपर इस्लाम कबूलने का दबाव बनाया जाता है।
हिज्बुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह की मौत पर वामपंथी मीडिया को उतना ही दुख है जितना उन्हें कभी बगदादी और लादेन की मौत पर हुआ था और उन्होंने उनके लिए संवेदना बटोरने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी।