प्रदर्शनकारियों ने अब उपनिवेशवाद और अश्वेतों की गुलामी को समर्थन देने वालों की मूर्तियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है और उन्हें हटाए जाने की माँग भी जोर-शोर से उठ रही हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा में कार्यरत 'अफसार भाई' द्वारा लखनऊ में एक हिंसक प्रदर्शन व दंगे की तैयारी करने की बात सामने आ रही है। उसके फेसबुक कमेंट्स से ऐसा पता चलता है।
कपिल मिश्रा ने 'द क्विंट' की एक ऐसी ही अपील के स्क्रीनशॉट ट्विटर पर पोस्ट करते हुए लिखा है कि किस प्रकार 'द क्विंट' भारत के लोगों को उकसाकर उन्हें सड़कों पर उतर आने की अपील कर रहा है।
अमेरिका में सड़कों पर प्रदर्शनकारियों की बड़ी मौजूदगी ने उनके अंदर की सहानुभूति और मानवता का परिचय दिया। फिर आह भरते हुए वो कहते हैं, "लेकिन भारतीय अपने अधिकारों से अनजान हैं।"
एसजी मेहता ने जस्टिस पुत्तुस्वामी द्वारा दिए गए निर्णय और ऑटो शंकर केस फ़ैसले को पढ़कर सुनाया, जिसमें ऐसे मामलों में 'प्राइवेसी के अधिकार' को महत्ता नहीं दी गई है। उन्होंने कहा कि कोई व्यक्ति सड़क पर पिस्तौल लहराते हुए घूम रहा है, तो उसे 'राइट टू प्राइवेसी' के तहत राहत नहीं दी जा सकती।
जब दुकान मालिक अनिल पाल पुलिस के साथ अपनी दुकान का हाल जानने वहाँ पहुँचे तो उन्हें मृतक नेगी का शरीर दूसरी मंजिल पर सीढ़ी के पास मिला, जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वो दंगाइयों को देखकर बिल्डिंग से कूदने की कोशिश कर रहे थे।