स्थानीय नेता आशु खान, मुस्तफा और हैदर का नाम भी एफआईआर में है। सीवाईएसएस के नेता कासिम उस्मानी, AISA के चंदन और एसआईओ के आसिफ तन्हा को भी आरोपी बनाया गया है।
नानावती-मेहता आयोग की फाइनल रिपोर्ट में 59 कारसेवकों को जलाए जाने के बाद राज्य में भड़की हिंसा को सुनियोजित हिंसा नहीं माना गया। आयोग ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली तत्कालीन गुजरात सरकार को अपनी रिपोर्ट में क्लीन चिट दी है।
गुजरात दंगों में कई ऐसे लोगों को फँसाया गया, जो बाद में निर्दोष साबित हुए। लेकिन तब तक उनकी ज़िंदगी, उनका परिवार और करियर- सब तबाह हो चुका था। शशिकांत को निजी खुन्नस में फॅंसाया गया और बाद में हर्ट अटैक से उनकी मौत हो गई।
मुझे यह कोई समझा दे कि भारत में 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' का नारा क्यों नहीं लगेगा? किसी कट्टरपंथी को इस नारे से आपत्ति क्यों है? तुम्हारे सामने अगर कोई 'पाकिस्तान मुर्दाबाद' कहता है, तो तुम इकट्ठा हो कर, पत्थर मारने की जगह 'हिन्दुस्तान जिंदाबाद' क्यों नहीं कहते?
हत्या से जुड़े 10, सामूहिक बलात्कार के 4 और दंगों के 26 मामलों के आरोपितों को अदालत ने बेगुनाह माना। सरकारी वकील के हवाले से बताया गया है कि अदालत में गवाहों के मुकरने के बाद अब राज्य सरकार रिहा आरोपितों के संबंध में कोई अपील नहीं करेगी।
इन दंगों में अब तक कई घरों और मस्जिदों पर हमला किया जा चुका है। दंगाई हाथ में लाठी और हथियार लिए आते हैं और सीधा हमला कर देते हैं। इस समय श्री लंका में अल्पसंख्यक मुस्लिमों में और सिंहलियों में काफ़ी तनातनी का माहौल है।
कवाला गाँव की इस घटना के बाद मुज़फ़्फ़रनगर शहर और शामली में भी दो सम्प्रदाय के बीच दंगे हुए थे। इस दंगे में लगभग 60 से ज़्यादा लोगों की मौत हुई थी, जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए थे।