इस घटना के बाद इस शख्स ने एसपी को प्रार्थना पत्र लिखकर अपनी पत्नी और पिता के ख़िलाफ़ केज दर्ज करने का आग्रह भी किया और कहा कि ट्रिपल तलाक पर बने नए कानून के तहत वह सजा भुगतने को भी तैयार है।
पीड़िता की बहन ने आरोप लगाया कि मोहम्मद अफजल और उसका पूरा परिवार मिल कर उसकी बहन को प्रताड़ित करता था। उसने न सिर्फ़ पीड़िता और उसके दो बच्चों को बंधक बनाया बल्कि 4 दिनों तक खाना-पीना भी नहीं दिया।
तीन तलाक को अपराध बनाने वाले ऐतिहासिक बिल के अमल में आने के बाद इस तरह की यह दूसरी घटना है। इससे पहले सहारनपुर में मोहम्मद अली ने कानून के डर से अपनी पत्नी को अपना लिया था।
शमा परवीन का निकाह अप्रैल 2010 में एहसान मिस्त्री से हुआ था। निकाह के कुछ दिनों बाद से ही एहसान बीवी के साथ शराब पीकर बुरा बर्ताव करता था। मारने-पीटने के बाद उसे घर से निकाल देता था।
फातिमा के ससुर ने उसकी तराबुद्दीन से फोन पर बात करवाई। जैसे ही फातिमा ने हैलो कहा, तराबुद्दीन ने तलाक तलाक तलाक कहकर फोन काट दिया। इसके बाद ससुर ने पंचायत बुलाकर फातिमा को डेढ़ लाख रुपए का चेक दे रिश्ता खत्म करने का एलान कर दिया।
साजिद का ये दूसरा निकाह है। पहली बीबी की मौत के बाद साजिद ने पीड़ित महिला के साथ दूसरी शादी की थी। साजिद की पहली शादी से 6 बच्चे थे, जिनका पालन पोषण भी पीड़िता ने ही की। खुद पीड़िता के भी 6 बच्चे हैं। तलाक के बाद इन बच्चों के साथ वो बेघर होकर...
"मोहम्मद सुंदरलाल ने ताश खेलने का विरोध करने पर सबसे पहले मेरी बेटी नूर बानो को तीन तलाक दिया और बाद में फाँसी लगाकर उसे मार डाला। इस पूरी घटना को अंजाम देने में मेरी बेटी के सास-ससुर ने भी उसके पति का पूरा सहयोग किया।"
पीड़िता के पिता हाजी जहूर ने सूरजपुर एसएसपी को लिखित शिकायत की है कि पीड़िता के ससुराल वाले पहले भी उसके साथ मारपीट करते थे। उसने इस मामले में ससुराल वालों के खिलाफ शिकायत भी की थी, लेकिन बाद में समझौता हो गया था।
इस बिल को मोदी सरकार ने लोकसभा में 25 जुलाई को और 30 जुलाई मंगलवार को राज्यसभा ने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) विधेयक को अपनी स्वीकृति दी थी। बिल के क़ानून बनने के बाद ये तय हो गया है कि 19 सितंबर 2018 के बाद जितने भी तीन तलाक़ के मामले सामने आए हैं उन सभी का निपटारा इसी क़ानून के तहत किया जाएगा।