फिरोजाबाद पुलिस की ओर से जारी पोस्टर में पुलिस उपाधीक्षक नगर, नगर मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक नगर का फोन नंबर दिया गया है। इसके अलावा पोस्टर में एक लैंडलाइन नंबर भी दिया गया है। जिसके आगे लिखा है कि इस नंबर पर नाम बताए बिना भी सूचना दी जा सकती है। सूचना देने वाले का नाम पूर्ण रूप से गोपनीय रखा जाएगा।
पुलिस ने वीडियो जारी करते हुए बताया कि उन्हें दिसंबर 19 से दिसंबर 21 के बीच हुई हिंसा में इस तरह के हमले झेलने पड़े और इसी कारण उन्हें दंगाईयों को पलटकर जवाब देना पड़ा।
अब तक के आँकड़ों के अनुसार, कुल 5558 लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है। इसके अलावा 925 लोगों को गिरफ़्तार भी किया है। अब तक 213 एफआईआर दर्ज किए गए हैं। अकेले कानपुर में 21,500 उपद्रवियों के विरुद्ध मामला दर्ज किया गया है।
पहले मुस्लिमों को हिंसा के लिए उकसाया गया। अब राणा अयूब सोशल मीडिया में मरने वालों का नाम लिख कर लोगों को भड़काने की फिराक में है। इसे मुस्लिम विरोधी नरसंहार बता रही। लेकिन, उन्होंने उन दो हिंदुओं के नाम छिपा लिए हैं जो दंगों की भेट चढ़ गए।
मोहित की जान की क़ीमत नहीं है क्योंकि वो 'योगी की पुलिस' का हिस्सा हैं। वहीं सुलेमान UPSC की तैयारी करने वाला एक 'आदर्श' छात्र है, जो किसी क़ानून के पारित होने के बाद उसे पढ़ कर नोट्स नहीं बनाता बल्कि देशी कट्टा लहराते हुए आगजनी करने निकल पड़ता है। मीडिया का हीरो कौन?
मेरठ में सीएए को लेकर हुई हिंसा में मोहसिन, आसिफ, जहीर, आलिम और दिल्ली के आसिफ की मौत हो गई थी। इसमें 35 पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं, जिनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है। इस मामले में अब तक 102 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है।
दंगाइयों से सख्ती दिखाने के लिए एक वर्ग यूपी पुलिस को बदनाम करने के लिए प्रोपेगेंडा रचने में लगा है। इस बीच रायबरेली से ऐसी तस्वीरें सामने आई है जो बताती है कि आगजनी करने वालों से नरमी नहीं दिखाने वाली यही पुलिस आग में फॅंसे लोगों के लिए जान पर खेल जाती है।
राणा अयूब को यूपी पुलिस ने फटकार लगाई है। पुलिस ने अयूब को एक 'जिम्मेदार रिपोर्टर' की परिभाषा समझाते हुए कहा कि वो अपने बयान की पुष्टि के लिए सबूत पेश करें। जैसा कि अपेक्षित था, राणा अयूब के पास अपने झूठे बयान की पुष्टि के लिए कोई सबूत नहीं था।
“भारी पथराव और फायरिंग के बीच मुझे हिंसक भीड़ को रोकना था। इसी दौरान एक गोली मेरे सीने की तरफ आई। बुलेटप्रूफ जैकेट तो इससे मुझे नहीं बचा पाई। लेकिन मेरा पर्स जिसमें मैंने भगवान शिव की तस्वीर रखी थी ने बचा लिया।”
सीएम ने हिंसा में हुए नुकसान की भरपाई उपद्रवियों से करने का ऐलान किया था। इसके लिए चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई है। उपद्रवियों की पहचान की जा रही है। मुजफ्फरनगर में प्रशासन ने 50 दुकानों को सील कर दिया है।