Sunday, April 20, 2025
Homeदेश-समाजपुलिस पर पत्थरबाजी के लिए बच्चों को उकसाया, SIT ने 33 पर दर्ज किया...

पुलिस पर पत्थरबाजी के लिए बच्चों को उकसाया, SIT ने 33 पर दर्ज किया मामला

आरोपितों ने एंटी-सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई झड़प में बच्चों को पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंकने के लिए उकसाया था। जाँच एजेंसी ने आरोपितों पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 की धाराएँ लगाईं हैं।

पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध के नाम पर हुई हिंसा की जाँच कर रही विशेष जाँच दल (SIT) ने 33 प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। आरोप है कि इन्होंने बच्चों को पुलिसकर्मियों पर पथराव करने के लिए उकसाया था। बता दें कि इन सभी 33 आरोपितों पर पहले भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए थे और उन्हें जेल भेजा गया था।

जानकारी के मुताबिक इन आरोपितों ने एंटी-सीएए विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई झड़प में बच्चों को पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंकने के लिए उकसाया था। जाँच एजेंसी ने आरोपितों पर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट 2015 की धाराएँ लगाईं हैं। 

मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट रविकांत यादव की अदालत ने एसआईटी को 33 आरोपितों के खिलाफ अतिरिक्त आरोप लगाने की अनुमति दी। वहीं मुजफ्फरनगर में 20 दिसंबर 2019 को भड़की हिंसा के कुछ आरोपितों के खिलाफ मुकदमा लड़ रहे वकील वकार अहमद ने कहा, “एसआईटी ने हिंसा के 33 आरोपितों के खिलाफ जुवेनाइल जस्टिस एक्ट, 2015 के एक अतिरिक्त सेक्शन जोड़ा है।”

उल्लेखनीय है कि झड़प के दौरान कई बच्चों को पुलिसकर्मियों पर पत्थर फेंकते और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुँचाते हुए देखा गया था। इस दौरान कई पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। पुलिस के अनुसार, इस तरह की हिंसक गतिविधि को लेकर नगर कोतवाली और सिविल लाइंस पुलिस स्टेशनों में 47 मामले दर्ज किए गए। जिसमें 250 से अधिक लोगों के नाम थे। बता दें कि पुलिस ने मामले में अब तक 80 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है।

एक अन्य वरिष्ठ वकील चंद्रवीर सिंह ने कहा कि आरोपितों पर जुवेनाइल एक्ट, 2015 की धाराओं को लागू किया गया, क्योंकि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में इस तरह के अपराधों के लिए मामला दर्ज करने का कोई प्रावधान नहीं है।

UP पुलिस पर गोलीबारी करने वाला PFI का खलीफा गिरफ़्तार, CAA विरोध में जुमे के दिन हुई थी हिंसा

मदरसा छात्रों और मौलवी के मलद्वार से बहा था खून, UP पुलिस का टॉर्चर: मीडिया गिरोह की साजिश का भंडाफोड़

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

बलात्कारियों से सहानुभूति और रेप पीड़िताओं को दोषी ठहराने की प्रवृत्ति: भारत की अदालतें खोज रहीं नए-नए तरीके, अपराधियों की जमानत के कई खतरे

न्यायपालिका जब पीड़ितों को उनके मित्रों से मिलने या 'पर्याप्त' प्रतिरोध नहीं करने के लिए दोषी ठहराती हैं तो स्थिति और भी खराब हो जाती है।

‘इस बर्बर घटना से हम व्यथित, खुलेआम घूम रहे अपराधी’: भारत ने हिंदू नेता की हत्या पर बांग्लादेश को फटकारा, कहा – ये चिंताजनक...

"यह घटना एक बड़े और चिंताजनक पैटर्न का हिस्सा है, जहाँ मोहम्मद यूनुस के शासनकाल में हिंदू अल्पसंख्यकों को लगातार निशाना बनाया जा रहा है।"
- विज्ञापन -