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Vivekananda
33 साल पहले जहाँ से निकाली थी एकता यात्रा, अब वहीं साधना करने पहुँचे PM नरेंद्र मोदी: पढ़िए ईसाइयों के गढ़ में संघियों ने...
'विवेकानंद शिला स्मारक' के बगल वाली शिला पर संत तिरुवल्लुवर की प्रतिमा की स्थापना का विचार एकनाथ रानडे का ही था, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि राजनीतिक इस्तेमाल के लिए बाद में यहाँ किसी की मूर्ति लगवाई जा सकती है।
कॉन्ग्रेसी CM और नेहरू के मंत्री हुमायूँ कबीर ने लगाया अड़ंगा, लेकिन एक संघी ने कर दिखाया… वो शख्स, जो न होता तो विवेकानंद...
मिशनरियों ने वहाँ क्रॉस लगा दिया, मूर्ति फेंक दी, जेवियर का स्मारक बनाने की चेष्टा की। कॉन्ग्रेसी मुख्यमंत्री M भक्तवत्सलम ने अड़ंगा लगाया। नेहरू के मंत्री हुमायूँ कबीर इसके पक्ष में नहीं थे। इन सबके बावजूद RSS के एकनाथ रानडे ने इसे कर दिखाया।
‘जब तक एक भी हिन्दू व्यक्ति जीवित है… तब तक रहेगी माता सीता की कथा’ – क्यों स्वामी विवेकानंद बनना चाहते थे गिलहरी?
“अपने महिमावान अतीत को मत भूलो। स्मरण करो... हम कौन हैं? किन महान पूर्वजों का रक्त हमारी नसों में प्रवाहित हो रहा है?” - स्वामी विवेकानंद
गोरों ने जिसे समझा गुलाम, स्वामी विवेकानन्द ने उनसे हाथ मिला कर कहा था – ‘धन्यवाद भाई’
“ऐसे विद्वान राष्ट्र में मिशनरी भेजना मूर्खता। वहाँ से तो हमारे देश में धर्मप्रचारक भेजे जाने चाहिए।” - स्वामी विवेकानन्द पर एक टिप्पणी।
विश्व एक व्यायामशाला है, जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं: स्वामी विवेकानंद
जिस राष्ट्र ने अतीत में हमारे लिए इतने बड़े-बड़े काम किए हैं, उसे प्राणों से भी प्यारा समझो - स्वामी विवेकानंद की यही थी अपील।
जातिगत भेदभाव हमारी सबसे बड़ी दुर्बलता, संगठित होना इस काल की आवश्यकता: स्वामी विवेकानंद
पश्चिम का अन्धानुकरण भारत के लिए भयंकर खतरा... जातिगत भेदभाव हमारी सबसे बड़ी दुर्बलता - इन विचारों के साथ भारत का चिंतन करते थे विवेकानंद।
नेताजी बोस हों या पंडित नेहरू… दोनों की किताबों में वो शख्स थे कॉमन, जिनके लिए भारत माता ही थी आराध्य देवी
"यह जननी जन्मभूमि भारत माता ही मानो आराध्य देवी बन जाए। अपना सारा ध्यान इसी एक ईश्वर पर लगाओ, हमारा देश ही हमारा जाग्रत देवता है।"
जननी जन्मभूमि भारत-माता ही आराध्य देवी… जब स्वामी विवेकानंद ने अन्य देवी-देवताओं को भूलने का किया था आह्वान
“निःसंदेह स्वामी विवेकानन्द धर्म महासभा के सर्वाधिक लोकप्रिय एवं प्रभावशाली। कट्टर से कट्टर ईसाई भी कहते हैं कि वे मनुष्य में महाराज हैं।”
‘मेरा वाला ही एकमात्र पैगम्बर, बाकी सब को खत्म कर दो’: इस्लाम को लेकर 120 साल पहले स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद ने फ़रवरी 3, 1900 को कैलिफोर्निया के पासाडेना स्थित शेक्सपियर क्लब में इस्लाम और मुस्लिमों को लेकर बात की थी।
जब विवेकानंद ने कहा- संन्यासी हूँ तो क्या हृदय की कोमलता का भी त्याग कर दूँ
स्वामी विवेकानंद का जीवन बहुत लंबा न होने के बावजूद, सौभाग्य से विभिन्न समय पर लिखे गए पत्रों, संस्मरणों, लेखों और हँसी-ठिठोली से हम वंचित नहीं हुए हैं। खास बात ये है कि उनके लिखे कई पत्र, संस्मरण आज उनके न रहने के लगभग एक शताब्दी के बाद भी कई नए रहस्य उद्घाटित कर रहे हैं।