इससे पहले शारदा चिट फंड घोटाले मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता के पूर्व पुलिस कमिश्नर और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के क़रीबी राजीव कुमार को तगड़ा झटका दिया था।
तृणमूल कॉन्ग्रेस के गुंडों ने बबलू नामक भाजपा कार्यकर्ता को निशाना बनाया। हमले में बबलू बाल-बाल बच गए। पड़ोसियों के पहुँचने के बाद हमलावर बाइक छोड़ भाग खड़े हुए। भाजपा कार्यकर्ता बबलू का अस्पताल में इलाज चल रहा है। ऐसी कई हिंसक वारदातें हुईं।
दोपहर 1 बजे तक 43.6% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। 3 बजे तक यह आँकड़ा 54.9% तक पहुँच गया। लेकिन कुल वोटिंग हुई सिर्फ़ 61.1% ही। मतलब बाकी 3 घंटों में महज 6% ही वोटिंग। TMC गुंडों की कोई चाल या भारी पड़ गई गुंडई...
मालदा और बशीरहाट में ऐसी घटनाएँ सामने आईं जहाँ कट्टरपंथी, हिन्दुओं के ख़िलाफ़ काफ़ी उग्र होते नज़र आए, जबकि इन्हीं हिंसात्मक हमलों में हिन्दुओं को बचाने की कोशिश में पुलिस महकमा पूरी तरह से विफल रहा।
बंगाल में होती हिंसा पर निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रचार की समय सीमा को कम कर दिया था। इस फैसले के मद्देनजर शुक्रवार (मई 17, 2019) को खत्म होने वाले चुनाव प्रचार की समय सीमा को गुरुवार (मई 16, 2019) की रात 10 बजे तक कर दिया गया है।
आईबी के अलर्ट के बाद भारत और बांग्लादेश सीमा रेखा पर BSF को अतिरिक्त सतर्कता बरतने का निर्देश दिया गया है। अलर्ट में दावा किया गया कि पश्चिम बंगाल के विस्तृत इलाके में इस आतंकी संगठन ने स्लीपर सेल तैयार कर रखा है, जिसकी मदद से आतंकी वारदात को अंजाम दे सकते हैं।
आयोग ने अपने बयान में कहा, कि यह संभवत: पहली बार है जब ECI ने अनुच्छेद 324 को इस तरीके से लागू किया है, लेकिन यह अराजकता और हिंसा की पुनरावृत्ति के मामलों में अंतिम बार नहीं समझा जाए, क्योंकि यह शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव प्रक्रिया के संचालन को प्रभावित करता है।
तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने बग्गा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि किसी को भी जलूस निकालने की इजाजत है लेकिन इसमें बाहरी लोग शामिल थे। तेजिंदर बग्गा को बाहरी बताते हुए उन्होंने पूछा कि आख़िर यह व्यक्ति है कौन? राज्यसभा सांसद डेरेक ने पूछा कि क्या बग्गा वही व्यक्ति नहीं है, जिसनें दिल्ली में किसी को थप्पड़ मारा था?
"तुम लोगों का नसीब अच्छा है कि मैं यहाँ शांत बैठी हूँ वरना तो मैं एक सेकेंड में दिल्ली में भाजपा दफ्तर और तुम्हारे घरों पर कब्ज़ा कर सकती हूँ। अमित शाह क्या भगवान हैं, जो उनके ख़िलाफ़ कोई प्रदर्शन नहीं कर सकता है?"
ममता सरकार की इस बड़ी कार्रवाई में बिना किसी क़ानूनी प्रक्रिया का अनुसरण किए और बिना किसी चार्ज के कई भाजपा नेताओं को उठा लिया गया। बंगाल में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैली के लिए देश के कई क्षेत्रों से भाजपा नेता कोलकाता में जाकर ठहरे हुए थे।