भाजपा को गच्चा देने के बाद अजित पवार अपनी पार्टी में लौट भी गए हैं और ससम्मान स्वीकार भी हो गए हैं। मौजूदा खबरों में भी उनके डिप्टी सीएम बनाए जाने की बात सामने आ रही है।
जब अजित भाजपा के साथ चले गए थे तो सुप्रिया ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस में लिखा था कि पवार परिवार और पार्टी बॅंट गई है। उन्होंने लिखा था, “आप जीवन में किस पर भरोसा करोगे। इतना ठगा हुआ कभी महसूस नहीं हुआ। उनका बचाव किया, उन्हें प्यार दिया। देखो बदले में क्या मिला मुझे।”
अजित पवार को उम्मीद थी कि भाजपा संग उनके गठबंधन को समर्थन देने के लिए कम से कम 30 विधायक ज़रूर साथ होंगे हालाँकि अंत तक उन्हें सिर्फ 12 विधायकों का ही समर्थन मिल सका। इस सियासी घटनाक्रम में धनंजय मुंडे द्वारा यू-टर्न ले लेने से पवार के फैसले पर काफी असर पड़ा।
"कई गर्मियां-बरसात और तूफान झेलकर वे खड़े रहे। लेकिन अजीत पवार ने शरद पवार की राजनीतिक इस्टेट में सेंध लगा दी और वहां का माल चुराकर वे भाजपा के खेमे में चले गए।"
NCP के जयंत पाटिल की मानें तो अजित पवार के इस्तीफे से संबंधित खबर का उन्हें पता नहीं है। इसके अलावा खुद अजित पवार के बेटे ने भी इस खबर को नकार दिया है। लेकिन स्थानीय मीडिया ने...
सुप्रीम कोर्ट ने सदन में वोटिंग की विडियोग्राफी कराने के भी आदेश दिए हैं। साथ ही कहा है वोटिंग ओपन बैलेट से होगा। सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य प्रोटेम स्पीकर होंगे।
आजतक और न्यू इंडियन एक्सप्रेस जैसे मुख्यधारा के मीडिया संस्थानों का अलावा नेशनल हेराल्ड जैसे प्रोपेगंडा पोर्टल्स तक, सबने झूठ फैलाया। पत्रकार राजदीप सरदेसाई और कॉन्ग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला भी नहीं चूके।
एनसीपी ने उन्हें विधायक दल का नेता पद से तो हटा दिया है लेकिन पार्टी से नहीं निकाला है। जयंत पाटिल, छगन भुजबन और वलसे पाटिल सहित कई नेताओं ने अजित के साथ बैठक कर उन्हें मनाने की कोशिश की। अजित पवार ने क्या जवाब दिया, यहाँ जानिए।
शरद पवार 1978 में पार्टी तोड़ कर CM बने। 1988 में राजीव ने मुख्यमंत्री बनाया। 1990 में जोड़-तोड़ से सरकार बनाई। 1993 में तत्कालीन CM के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री बने। उन्होंने जो लिगेसी सेट की है, भतीजा उसका ही अनुसरण कर रहा है। मिलें अजित प्रकरण के अन्य किरदारों से।
NCP नेता और महाराष्ट्र के नव नियुक्त उप-मुख्यमंत्री अजित पवार को पार्टी द्वारा मनाने की सारी कोशिशें फेल होती नज़र आ रही हैं। लाख मनाए जाने के बावजूद वो अपने फ़ैसले पर अटल हैं।