जब मुंबई पुलिस कमिश्नर ही खुले आम मुझे इस तरह डराएँगे, मेरे खिलाफ अपराधों और बदमाशी करने वालों को प्रोत्साहित करेंगे, तो क्या मैं मुंबई में सुरक्षित रहूँगी?”
लेफ्ट-लिबरल्स को यह सवाल खुद से पूछना चाहिए कि क्या 'माय लाइफ माय रूल्स' का 'वोक' नारा भी सिर्फ पादुकोण या कपूर परिवार की बेटियों के अधिकारों के लिए ही है?