देश में कोरोना के मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या के बीच ईसाई कार्डिनल ने मुंबई के सभी चर्च पादरियों से अपील की है कि वह कोरोना से मरने वाले लोगों के शवों को दफनाएँ नहीं बल्कि उनकी डेडबॉडी का अंतिम संस्कार कराएँ।
कोरोना वायरस के संक्रमण पर काबू पाने के लिए देश में 21 दिनों का लॉकडाउन है। इसके बावजूद कुछ लोग इसकी गंभीरता को नकारते हुए मनमर्जी से दैनिक क्रियाकलाप में व्यस्त हैं।
केन्या रिपोर्ट की खबर में इस घटना की जाँच कर रही पुलिस का हवाला दिया गया था और बताया गया था कि पादरी ने पहले अनुयायियों को यह विश्वास दिलाया कि कोरोनावायरस के खतरे को कीटाणुनाशक द्वारा खत्म किया जा सकता है। उसके बाद उसने सभी को मुँह से...
केरल सरकार के रोक लगाने के बावजूद चर्च के पादरी ने सरकार के आदेश की अवहेलना करते हुए एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया, जिसमें कम से कम 100 लोगों ने हिस्सा लिया था।
कोरोना वायरस के प्रकोप से जूझ रहे इटली में मंगलवार तक वायरस के 27,980 मरीज सामने आ चुके हैं और इसकी चपेट में आने से अब तक अकेले इटली में 2,503 मौतें हो चुकी हैं।
वो 'अमर' है। वो'जीसस का दूत' है। 88 वर्षीय ली मैन ही के उस रहस्यमयी चर्च के कारण दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस के क़रीब 5000 मामले आए हैं। मिस्टर ली का कहना है कि शिनचेओंजी की तेज़ तरक्की से दुष्ट शक्तियाँ नाराज़ हैं। इस चर्च का एक ब्रांच वुहान में भी हैं।
टीजे जोसेफ उस प्रोफेसर का नाम है जो अपनी ही समुदाय का मारा है। बकौल जोसेफ, चर्च ने उनका साथ नहीं दिया। उन्हें आधिकारिक तौर पर बहिष्कृत कर दिया। उनकी पत्नी, दो बच्चे और बुजुर्ग माँ को भी हाशिए पर खड़ा कर दिया।
मोशी शहर की एक चर्च। सामने खुला मैदान और वहाँ धार्मिक कार्यक्रम का आयोजन। भीड़ खचाखच। तभी खुद को ईश्वर कहने वाले पादरी मवामपोसा ने कहा - जमीन पर 'पवित्र तेल' पड़ा हुआ है। बस, रोग ठीक होने की आस में सभी लोग तेल को छूने लगे। भगदड़ मची और...
'होली सेक्रामेंट' ईसाई धर्म की एक ऐसी प्रथा है, जिसमें गिरजाघरों में रोटी और शराब बाँटकर यीशु मसीह के 'लास्ट सपर' को स्मरण किया जाता है। लेकिन चर्च में पादरी हर सहभागी के मुँह में एक ही प्याली और चम्मच से शराब परोसते हैं। इसके कारण लार से होने वाली बीमारियाँ...
"केवल पुरुष ही इस चर्च में प्रवेश कर सकते हैं, महिलाओं को इस चर्च में प्रवेश की अनुमति नहीं है। हम इस निर्णय का सम्मान करते हैं। इसके पीछे आंशिक रूप से इमारतों की रक्षा करना है, साथ ही इस स्थान को पवित्र बनाए रखने के लिए ऐसा किया जाता है।"