सांसद बीड़ा मस्तान राव की बेटी माधुरी अपनी सहेली के साथ बीएमडब्ल्यू कार चला रही थी, तभी उसने चेन्नई के बेसेंट नगर में नशे की हालत में फुटपाथ पर सो रहे 24 वर्षीय पेंटर सूर्या को कार से कुचल दिया।
जब वहाँ पहली बार नौका सेवा प्रारंभ की गई तो स्थानीय नाविकों ने इसका बहिष्कार कर दिया। फिर केरल से नाविकों को बुलाना पड़ा। ईसाइयों ने शिलालेख फेंक दिया था।
स्वामी विवेकानंद का संन्यासी जीवन से पूर्व का नाम भी नरेंद्र था और भारत के प्रधानमंत्री भी नरेंद्र हैं। जगह भी वही है, शिला भी वही है और चिंतन का विषय भी।
'विवेकानंद शिला स्मारक' के बगल वाली शिला पर संत तिरुवल्लुवर की प्रतिमा की स्थापना का विचार एकनाथ रानडे का ही था, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि राजनीतिक इस्तेमाल के लिए बाद में यहाँ किसी की मूर्ति लगवाई जा सकती है।
मिशनरियों ने वहाँ क्रॉस लगा दिया, मूर्ति फेंक दी, जेवियर का स्मारक बनाने की चेष्टा की। कॉन्ग्रेसी मुख्यमंत्री M भक्तवत्सलम ने अड़ंगा लगाया। नेहरू के मंत्री हुमायूँ कबीर इसके पक्ष में नहीं थे। इन सबके बावजूद RSS के एकनाथ रानडे ने इसे कर दिखाया।