Sunday, September 1, 2024
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बकरे को पहनाई अन्नामलाई की फोटो और फिर बीच सड़क काट डाला: DMK समर्थकों का Video आपने देखा क्या? BJP नेता की हार का जश्न मटन बिरयानी खाकर मनाया

वीडियो को देखकर साफ पता चलता है कि डीएमके कार्यकर्ता सिर्फ बकरे का गला नहीं काट रहे बल्कि प्रतीकात्मक तौर पर भाजपा अध्यक्ष का सिर तन से जुदा करते दिखा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इसे शेयर करके सख्त कार्रवाई की माँग की है।

लोकसभा नतीजे सामने आने के बाद एक बहुत दिल दहलाने वाली वीडियो सामने आई है। ये वीडियो तमिलनाडु से है जहाँ भाजपा को मजबूत करने का काम अन्नामलाई कर रहे थे। नतीजे आने के बाद यहाँ डीएमके कार्यकर्ताओं ने अन्नामलाई की फोटो बकरे के गले में टांगकर उसका सिर खुली सड़क पर धारदार हथियार से एक बार में अलग कर दिया। इसके बाद बाकी सब लोग जश्न मनाते दिख रहे हैं।

इस वीडियो को देखकर साफ पता चलता है कि डीएमके कार्यकर्ता सिर्फ बकरे का गला नहीं काट रहे बल्कि प्रतीकात्मक तौर पर भाजपा अध्यक्ष का सिर तन से जुदा करते दिखा रहे हैं। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इसे शेयर करके सवाल किए हैं कि ये क्या अन्नामलाई की फोटो लगाकर इस तरह बकरे का सिर काटना निर्मम हत्या करने के इशारे को नहीं दर्शता।

लोगों ने ऐसी हरकत करने वाले डीएमके कार्यकर्ताओं के विरुद्ध कार्रवाई की माँग की है। कहा जा रहा है कि ऐसा करके अन्नामलाई के बैकग्राउंड का भी मखौल उड़ाया गया है। वो किसान परिवार से हैं और बकरी पालन का काम भी करते हैं। इसके अलावा उन्होंने पहले कहा भी था कि उनके पास कोई संपत्ति नहीं है, उनके पास सिर्फ कुछ बकरियाँ हैं। यही वजह है कि उनकी तस्वीर बकरे पर लगा उसका सिर काटा गया है।

बता दें कि 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद कोयंबटूर में डीएमके कार्यकर्ताओं ने जश्न के तौर पर ऐसी हरकत को अंजाम दिया है। पहले उन्होंने ऐलान किया था कि अन्नामलाई हारे तो बकरे की बिरयानी बनेगी। इसके बाद नतीजे देख मटन बिरयानी बनी और डीएमके कार्यकर्ताओं को समर्थकों में बँटी।

उल्लेखनीय है कि इस तरह प्रतीकात्मक हत्या दिखाए जाने की यह कोई पहली घटना नहीं है। इससे पहले 2022 में भाजपा प्रवक्ता नुपूर शर्मा का पुतला बनाकर उसे सरेआम सड़क पर फाँसी देने की घटना कर्नाटक के बेलगावी में सामने आई थी। इसके अलावा साल 2021 में केरल में पीएफआई ने एक रैली आयोजित की थी। इस रैली में आरएसएस की ड्रेस पहनाकर हिंदुओं के नरसंहार को दर्शाया गया था।

मालूम हो कि भले ही ये प्रतीकात्मक तौर पर किए गए कुछ प्रदर्शन हिंसा में नहीं आते लेकिन ये उस भीड़ की मानसिकता को जरूर उजागर करते हैं जो प्रतिद्वंदियों को मारने को अपनी बहादुरी मानते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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