शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों द्वारा गिरफ्तार आरोपित मुस्लिमों की रिहाई की माँग करना अपने आप में कई सवाल खड़े करता है। आरोपित की रिहाई कानूनी प्रक्रिया के तहत होती है, भीड़ की माँग पर नहीं। फिर आखिर क्या वजह है कि शाहीन बाग में धरने पर बैठी भीड़ आरोपितों को छोड़ने के लिए दबाव बना रही है?
हमला करने वाली अधिकतर महिलाओं ने बुर्के पहन रखे थे, इसलिए उन्हें पकड़ना पुलिस के लिए मुश्किल हो रहा है। लेकिन, मौके से मिले वीडियो फुटेज और सर्विलांस के जरिए 6 महिलाओं की पहचान कर ली गई है, जिनको लेकर पुलिस जल्द खुलासा और गिरफ्तारियाँ कर सकती है।
पुलिस ने चॉंदबाग में दंगों के दौरान मूसा के फोन को सर्विलांस पे रखा था। बातचीत में मुल्ला का नाम सामने आया था। जब मुल्ला का फोन सर्विलांस पर लिया गया तो वह किसी से बात करते हुए सुनाई पड़ा- हमने एक को गोद दिया।
दंगाइयों ने हिंदुओं, उनके शैक्षणिक संस्थानों, धार्मिक स्थलों, दुकानों, घरों, वाहनों को चुन-चुनकर निशाना बनाया था। पहले से तैयार पेट्रोल बम, गुलेल, ईंट-पत्थर आदि बताते हैं कि यह अचानक नहीं हुआ।
तनवीर और गुलफाम दंगों में शामिल थे। इनके पास से कई मोबाइल फोन मिले हैं जिन्हें जॉंच के लिए फॉरेंसिक विभाग को भेज दिया गया है। इससे पहले अंकित शर्मा की हत्या के मामले में सलमान को गिरफ्तार किया गया था।
“दिल्ली में हुए दंगों की जाँच पड़ताल में सोशल मीडिया में 60 ऐसे अकाउंट मिले हैं जो 22 फरवरी को शुरू हुए और 26 फरवरी को बंद हो गए। अगर ये लोग सोचते हैं कि अकाउंट बंद करके वो बच जाएँगे तो मैं बता दूँ कि वो जहाँ पर भी हैं पुलिस उनको ढूँढ निकालेगी।”
"हत्या करने वाले सभी लोगों को पता था कि अंकित IB में काम करते हैं। साजिश कर उनकी हत्या की गई। पहले घसीटकर ताहिर हुसैन के घर ले गए और फिर 1 दर्जन से भी ज्यादा लोगों ने चाकू से वार किया। तड़पा-तड़पाकर मारा और फिर शव नाले में फेंक दिया।"
ताहिर हुसैन के साथ ही हिंसा फैलाने के अरोपित रियासत अली और दिलबर नेगी के हत्यारोपित शाहनवाज को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इससे पहले कोर्ट ने रियासत अली को पुलिस रिमांड पर भेजा था। केंद्र सरकार दिल्ली दंगों में शामिल लोगों की पहचान तत्परता से कर रही है और दोषियों की गिरफ्तारियाँ कर रही है।
"मैं सदन को और सदन के माध्यम से देश को विश्वास दिलाता हूँ कि दंगो के लिए जिम्मेदार लोग और दंगों का षड्यंत्र करने वाले लोग, चाहे वे किसी भी जाति, मजहब या पार्टी के हो, उन्हें किसी भी दशा में बख्शा नहीं जाएगा।"
24 फरवरी की रात को जब दिलबर नेगी दुकान की बेकरी के गोदाम में सो रहा था, उसी समय दंगाइयों ने गोदाम में आग लगा दी। दंगाइयों ने दिलबर के हाथ-पैर काटे और अधमरी अवस्था में ही उसे आग के हवाले कर दिया। दिलबर के साथी श्याम का कहना था कि दंगाइयों ने उस पर भी हमला किया, जिससे वो गंभीर रूप से घायल हो गया।