पिछले 5 वर्षों में अर्थव्यवस्था और अन्य जटिल विषयों पर कॉन्ग्रेस की तरफ़ से मनमोहन सिंह ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस किया। अतः, पार्टी उन्हें हर हाल में संसद में रखना चाहती है। तमिलनाडु में इसी महीने राज्यसभा की 6 सीटों के लिए मतदान होना है।
पीवी नरसिम्हा राव के कार्यकाल के दौरान यह फैसला लिया गया था कि सभी पूर्व प्रधानमंत्री पद छोड़ने के बाद 5 साल के लिए कैबिनेट मंत्री के बराबर लाभ के हकदार होंगे। इन सुविधाओं में 14-सदस्यीय स्टाफ, मुफ्त कार्यालय व्यय, चिकित्सा सुविधाएँ, 6 फैमिली एग्जिक्यूटिव क्लास एयर टिकट और SPG कवर शामिल हैं।
अगर कॉन्ग्रेस की माँग पर डीएमके अध्यक्ष हामी भर देते हैं तो उनकी पार्टी के खाते में महज एक ही सीट आएगी। हालाँकि कॉन्ग्रेस की इस माँग पर डीएमके गंभीरता से विचार कर रही है। लेकिन ये बात भी सच है कि डीएमके के पास ऐसी कोई मजबूरी नहीं है कि वो इस माँग को स्वीकारे।
कॉन्ग्रेस पार्टी मनमोहन सिंह को कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सीटों के जरिए भी राज्यसभा नहीं भेज सकती है क्योंकि इस समय इन राज्यों में भी पद रिक्त नहीं हैं।
मोदी की पाकिस्तान नीति पर सवाल खड़े करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को लेकर उनकी पॉलिसी फ्लिप-फ्लॉप पर आधारित थी। उन्होंने कहा कि मोदी पाकिस्तान तो गए ही, साथ ही उन्होंने आईएसआई को पठानकोट में निमंत्रण दिया।
वो दिन दूर नहीं जब पूरा दिन PUBG खेलने के बाद राहुल गाँधी PUBG को ही कॉन्ग्रेस द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक साबित कर देंगे। ऐसा करने के लिए उनके पास मीडिया गिरोह से लेकर नेहरुवियन सभ्यता वाले, किसी भी समय अवार्ड वापस करने वालों के गैंग, स्लीपर सेल अवस्था में हर वक़्त मौजूद तो हैं ही।
अमर्त्य सेन को तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा नालंदा विश्वविद्यालय का प्रथम कुलपति नियुक्त किया गया। उन्हें पाँच लाख रुपए प्रति महीने का वेतन दिया जाता था। बेहिसाब विदेशी दौरे, सीधी नियुक्तियाँ करने का अधिकार सहित उन्हें कई अन्य सुविधाओ से नवाजा गया था।
अब यदि विपक्ष के द्वारा संवैधानिक अवहेलना एवं संस्थागत अवमानना पर विचार किया जाए, तो कई सारे उदाहरण और मिल जाएँगे। और यदि उनके इतिहास के बारे में सोचा जाए, तो ऐसे उदाहरणों की कोई कमी नहीं होगी। एक भारतीय के रूप में हमें इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए कि संविधान व संस्थाएँ, दोनो ही मोदी सरकार मैं पूर्ण रूप से संरक्षित हैं।
मीडिया संस्थान हिन्दू बिजनेस लाइन की तरफ से आयोजित चेंजमेकर अवॉर्ड्स में जीएसटी काउंसिल को ‘चेंजमेकर ऑफ द ईयर अवार्ड’दिया गया और वित्त मंत्री अरूण जेटली ने जीएसटी काउंसिल का चेयरमैन होने के नाते इस अवॉर्ड को रिसीव किया।
एक निजी चैनल को दिए इंटरव्यू में शीला दीक्षित ने स्वीकार करते हुए कहा कि मनमोहन सिंह आतंकवाद से लड़ने में उतने कठोर नहीं थे, जितने कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।