दुर्रानी साम्राज्य की ईंट से ईंट बजाकर मराठाओं ने उन्हें अफगानिस्तान खदेड़ा था। पेशावर का यह युद्ध 8 मई 1758 में लड़ा गया था जिसमें मराठा विजयी हुए थे।
285 साल पहले हैदराबाद के निजाम के सामने मराठा ऐसी दीवार बनकर खड़े हुए कि इतिहास में शौर्य का एक नया अध्याय जुड़ गया। इसे बैटल ऑफ भोपाल के नाम से जानते हैं।
मराठी कवि यशवंत मनोहर का कहना था कि उन्होंने सम्मान समारोह के मंच पर रखी गई सरस्वती की तस्वीर पर आपत्ति जताई थी। फिर भी तस्वीर नहीं हटाई गई थी इसलिए उन्होंने पुरस्कार लेने से मना कर दिया।
महाराष्ट्र में आठवीं कक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल एक पुस्तक में भारतीय स्वतंत्रता के प्रमुख सेनानियों में से एक सुखदेव का नाम कुर्बान हुसैन बताया गया है।