शाह फैसल के राजनीति में आने पर खास मजहब वालों ने बढ़-चढ़कर दान दिया और समर्थन दिया था और अब जब उनके वापस से प्रशासनिक सेवा में जुड़ने की खबर आ रही है, तो वो लोग इसे कौम के साथ गद्दारी बता रहे हैं।
महबूबा ने पूछा कि सिविल सर्विस की परीक्षा में शीर्ष स्थान पाने के बाद जिस शाह फैसल को राज्य का रोल मॉडल बताया गया था, आज उन्हें इस तरह अपमानित क्यों किया जा रहा है? उनके साथ दुर्वव्यवहार क्यों हो रहा है?
शाह फैसल पहले भी धमकी देते रहे हैं। वे ख़ुद को अलगाववादी घोषित कर चुके हैं। एक बयान में उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों को भड़काने की कोशिश करते हुए कहा कि वे तब तक ईद नहीं मनाएँगे जब तक बेइज्जती का बदला नहीं ले लेते।