"कॉन्ग्रेस पार्टी ने अपने स्वार्थ के लिए जनता में वोटों के बँटने के भय को खूब प्रचारित किया। इससे बीएसपी के समर्पित वोटर तो कतई नहीं डिगे परन्तु अन्य वोटर जरूर भ्रमित हो गए। इसका परिणाम यह हुआ कि बीएसपी इस बार हरियाणा विधानसभा आमचुनाव में सीट जीतने में सफल नहीं हो सकी।"
पहले जिन 5 निर्दलीय विधायकों ने हरियाणा में खट्टर सरकार को समर्थन देने की बात कही थी, उसमें दो नाम और जुड़ गए हैं - रणधीर गोलन व धर्मपाल गोंदर की। भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा और हरियाणा बीजेपी के प्रभारी से मुलाकात कर इन सभी ने...
"जो निर्दलीय विधायक खट्टर सरकार का हिस्सा बनने जा रहे हैं, वे अपनी राजनीतिक कब्र खोद रहे हैं। वे जनता के विश्वास को बेच रहे हैं। हरियाणा की जनता ऐसा करने वालों को कभी माफ नहीं करेगी। जनता उन्हें जूतों से पीटेगी।"
जरावता ने वहीं से जीत दर्ज की है, जहाँ पटौदी पैलेस है, मतलब जहाँ कुछ दिन पहले सैफ अली खान अपनी बेगम करीना कपूर खान के जन्मदिन को मनाने के लिए अपने बेटे तैमूर संग आए थे।
रणजीत सिंह चौटाला के अलावा रणधीर गोलन, बलराज कुंडू, राकेश दौलताबाद और गोपाल कांडा ने भी राज्य में भाजपा सरकार बनाने के लिए अपने समर्थन की स्वीकृति दी है।
यह सही है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में बीजेपी की सीटें गिरी है। लेकिन, इसी आधार पर नतीजों का आकलन करना तथ्यों को अपने ही चश्मे से देखना है। इसका एक पक्ष यह भी है कि यह अगले पॉंच साल के लिए भाजपा के लिए ही जनादेश है।
"मैं हरियाणा के लोगों को हमें आशीर्वाद देने के लिए धन्यवाद देता हूँ। हम राज्य की उन्नति के लिए पहले की तरह ही समर्पण और जज़्बे से कार्य करेंगे। मैं भाजपा के कार्यकर्ताओं के कड़े परिश्रम और प्रयास के लिए भी सराहना करता हूँ। कार्यकर्ताओं ने हमारे विकास के एजेंडा से लोगों तक पहुँचाया।"
पिछले 10-15 सालों में जनता ने इस बात को बखूबी समझा है कि कॉन्ग्रेस पार्टी में सत्ता-सुख की लालसा रखने वाला केन्द्रीय नेतृत्व यानी गाँधी परिवार पर गाहे-बेगाहे भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहते हैं। आरोप लगने से लेकर इसकी सच्चाई आने तक जनता एक मतदाता के रूप में अपना काम कर चुकी होती है। क्यों, क्योंकि खून-पसीना एक कर टैक्स भरने वाली जनता और करे तो क्या करे?
BJP 46 के मैजिक आँकड़े से पीछे रह गई है। पीछे तो कॉन्ग्रेस भी रह गई है। लेकिन मामला अंतर का है, मामला गणित का है। और यही गणित दुष्यंत चौटाला के किंग मेकर बनने के सपने पर भी पानी फेर रही है। जीत की खुमारी में जो मन में आए बोल लें, लेकिन वो कम से कम इस बार किंग मेकर नहीं बनने जा रहे हैं।