Friday, April 19, 2024
Homeराजनीतिपंक्चर बनाने वाले को मिला BJP का साथ, बन गए विधायक

पंक्चर बनाने वाले को मिला BJP का साथ, बन गए विधायक

पंचर बनाने के अलावा वो कुछ वक़्त निकालकर सरकारी नौकरी की तैयारी भी करते थे। फिर उनकी नौकरी गुरुग्राम ग्रामीण बैंक में क्लर्क के पद पर लग गई। इसके बाद वो...

हरियाणा में पटौदी विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी सत्यप्रकाश जरावता विजयी रहे। उन्हें कुल 60,633 मत मिले। जरावत ने 36,579 मतों के अंतर से अपने प्रतिद्वंद्वी नरेंद्र सिंह पहाड़ी (निर्दलीय) को हराकर जीत हासिल की। 

दरअसल, सत्यप्रकाश के जीवन की शुरुआत पटौदी क्षेत्र में ही एक छोटी-सी दुकान से हुई। वहाँ वो अपनी आजीविका साइकल के पंचर बनाने से चला रहे थे। इस दौरान उनका जीवन में कई उतार-चढ़ाव से दो-चार हुआ। संघर्षपूर्ण जीवन व्यतीत करते उन्हें कई वर्ष बीत गए। पंचर बनाने के अलावा वो कुछ वक़्त निकालकर सरकारी नौकरी की तैयारी भी करते थे। 

कड़े प्रयास और संघर्ष के परिणामस्वरूप सत्यप्रकाश की नौकरी गुरुग्राम ग्रामीण बैंक में क्लर्क के पद पर लग गई। इसके बाद वो बैंक में अधिकारी भी बने, और यहीं से उन्होंने वर्ग विशेष के लिए राजनीति भी शुरू कर दी। इसके लिए लिए उन्हें साथ मिला पूर्व आईएएस अधिकारी व दलित नेता उदित राज का। उनके सम्पर्क में आने के बाद जरावता अनुसूचित जाति जनजाति कर्मचारी संघ के पदाधिकारी भी बने। साथ ही वो लॉर्ड बुद्ध क्लब के प्रदेशाध्यक्ष भी बने।

इस दौरान सत्यप्रकाश जरावता कर्मचारी हित में अपनी आवाज़ भी बुलंद करते रहे। उनका सपना था कि वो विधानसभा चुनाव लड़ें और जनता के हित में अपना योगदान दे सकें। जरावता के बारे में कहा जाता है कि वो राव इंद्रजीत सिंह के कट्टर समर्थक थे। उन्हीं की सलाह-मशविरा के बाद जरावता ने सरकारी नौकरी से इस्तीफ़ा देकर विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी की थी। लेकिन दु:खद यह रहा कि राव इंद्रजीत की तमाम कोशिशों के बावजूद जरावता को कॉन्ग्रेस से टिकट नहीं मिला इसलिए वो बतौर निर्दलीय ही चुनाव लड़े और हार गए।

साल 2015 में जरावता बीजेपी में शामिल हुए। चुनाव लड़ने के लिए उन्हें टिकट तो नहीं मिला, लेकिन बीजेपी ने उन्हें अपना प्रदेश सहप्रवक्ता बना लिया। जरावता ने इस पद की गरिमा बनाए रखी और अपने दायित्वों का निष्ठापूर्वक पालन किया। 

सत्यप्रकाश जरावता की निकटता महामंडलेश्वर स्वामी धर्मदेव महाराज से काफ़ी थी। उन्होंने पिछले वर्ष मुख्यमंत्री के चाय पर चर्चा कार्यक्रम के तहत मुख्यमंत्री की अपने गाँव लोकरा में एक सफल जनसभा करवाई। इस जनसभा के बाद विधायक बिमला चौधरी ख़ासे नाराज़ हो गए। इसके विरोध में उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेन्स भी आयोजित की।

विधायक बिमला चौधरी की यही हरक़त पार्टी से उनके टिकट को काटने का सबब बन गई और वही टिकट जरावता को दे दिया गया। जरावता ने भी पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतरने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विधायकी में मिली जीत के साथ ही उन्होंने अपने सपने को भी साकार कर दिखाया। जरावता ने वहीं से जीत दर्ज की है, जहाँ पटौदी पैलेस है, मतलब जहाँ कुछ दिन पहले सैफ अली खान अपनी बेगम करीना कपूर खान के जन्मदिन को मनाने के लिए अपने बेटे तैमूर संग आए थे।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

लोकसभा चुनाव 2024: पहले चरण में 60+ प्रतिशत मतदान, हिंसा के बीच सबसे अधिक 77.57% बंगाल में वोटिंग, 1625 प्रत्याशियों की किस्मत EVM में...

पहले चरण के मतदान में राज्यों के हिसाब से 102 सीटों पर शाम 7 बजे तक कुल 60.03% मतदान हुआ। इसमें उत्तर प्रदेश में 57.61 प्रतिशत, उत्तराखंड में 53.64 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।

कौन थी वो राष्ट्रभक्त तिकड़ी, जो अंग्रेज कलक्टर ‘पंडित जैक्सन’ का वध कर फाँसी पर झूल गई: नासिक का वो केस, जिसने सावरकर भाइयों...

अनंत लक्ष्मण कन्हेरे, कृष्णाजी गोपाल कर्वे और विनायक नारायण देशपांडे को आज ही की तारीख यानी 19 अप्रैल 1910 को फाँसी पर लटका दिया गया था। इन तीनों ही क्रांतिकारियों की उम्र उस समय 18 से 20 वर्ष के बीच थी।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe