दिल्ली में चल रहे कृषि आंदोलन में बीते दिनों शाहीन बाग एंगल निकलने के बाद इस मसले पर चर्चा करना अति आवश्यक हो गया है। इस आंदोलन में एक ऐसा समूह है जो हर किसी को बरगलाना चाहता है। सीएए के दौरान ऐसा ही शाहीन बाग में देखने को मिला था। उस समय समुदाय विशेष को भ्रमित करने का कार्य हुआ था या ये कहें कि कुछ लोग भ्रमित होने के लिए बैठे ही थे।
अब वही काम कृषि बिल के नाम पर हो रहा है। जैसे सीएए में लोगों से कहा गया कि इसमें उनकी नागरिकता छीन ली जाएगी। वैसे ही कृषि बिल को लेकर कहा जा रहा है कि इसके जरिए किसानों से उनकी जमीन सरकार छीन लेगी। सीएए से भी भारतीय मुस्लिम समुदाय का कोई लेना-देना नहीं था और कृषि बिल में भी किसानों की जमीन छीने जाने का कोई जिक्र नहीं है।
आज इन किसान आंदोलनों के लिए जिन्हें बुलाया गया है वह खालिस्तानी समर्थक हैं। उधम सिंह से अपनी तुलना करके ऐसे लोग कैमरे के सामने आकर बोल रहे हैं कि इंदिरा को ठोंक दिया, मोदी क्या चीज है।
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