देश की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की माँग अक्सर उठती रहती है, क्योंकि पाठ्यक्रम और एनसीईआरटी में तथ्यों की विश्वसनीयता शक के घेरे में है। लेखक नीरज अत्री ने इस पर वृहद रिसर्च किया है। अत्री ने कहा कि जब उन्होंने पाया कि इन पुस्तकों में एक तरफ मुगलों और इस्लामिक शासकों को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया गया है, वहीं दूसरी तरफ हिन्दू राज्यों को ऐसे प्रस्तुत किया गया है, जैसे उनकी कोई विशेषता ही न हो।
उन्होंने बताया कि एनसीईआरटी के माध्यम से ऐसा नैरेटिव बनाया जाता है जैसे ब्राह्मण बाहर से आए थे और उन्होंने यहाँ के लोगों का शोषण किया है। अत्री ने एनसीईआरटी में तथ्यों के साथ हुए इस छेड़छाड़ के लिए 100 से भी अधिक आरटीआई लगाए। उन्होंने एनसीईआरटी पुस्तकों के बारे में बताया कि UPA सरकार के आने के बाद उसमें आर्य-द्रविड़ की थ्योरी परोसी गई, जिससे बच्चों के मन में गलत धारणाएँ बैठीं।
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