बंगलुरु में दंगे हो गए, कॉन्ग्रेस विधायक के भतीजे ने किसी हिन्दूघृणा से रिसते पोस्ट के नीचे कोई कमेंट किया और अल्पसंख्यक समुदाय को बुरा लग गया। जिस हिसाब से आजकल रेखाएँ क्षीण और धुँधली होती जा रही हैं, भाजपा वालों के काम भी कॉन्ग्रेस वाले करते नजर आ रहे हैं। खैर, बुरा इसलिए लगा क्योंकि बुरा लगने पर सिर्फ उनका ही हक है।
‘आहत होना’ या ‘संवेदनशील मैटर’ आदि का मसला भारतीय समाज के उन संसाधनों जैसा है जिस पर मनमोहन सिंह ने कहा था कि इस पर पहला हक अल्पसंख्यकों का ही है। हिन्दू लोग कट्टर होते हैं। अब किसी ने कृष्ण को थोड़ा सा बलात्कारी कह ही दिया तो क्या हो गया? अनभिज्ञ होगा, पढ़ता-लिखता नहीं होगा, कह दिया थोड़ा सा। अब कह ही दिया तो बात बढ़ाने की क्या जरूरत थी? क्या एक अल्पसंख्यक संविधान प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग नहीं कर सकता?
पूरा वीडियो इस लिंक पर क्लिक कर के देखें