रवीश कुमार ने आज-कल लिखना बहुत कम कर दिया है। 4-5 दिन में 1 से 2 पोस्ट लिखे जा रहे हैं। प्राइम टाइम भी कम कर दिया है। वैसे जो भी लिखा है बकवास ही लिखा है। फिलहाल हम उनके दो प्राइम टाइम पर चर्चा करेंगे। पहला- प्रधानमंत्री के भाषण के ऊपर लिखे गए उनके पोस्ट और दूसरा, ‘शाहीन बाग से मुगल राज आ जाएगा क्या?’
रवीश कुमार ने प्रधानमंत्री के भाषण का हेडलाइन दिया- ‘तथ्यों और संदर्भों से जूझता प्रधानमंत्री का भाषण।’ नहीं रवीश जी, आप जूझ रहे हैं तथ्यों और संदर्भों से। आपने प्रधानमंत्री के भाषण को शब्दश: लिया है। उन्होंने शाहीन बाग के धरने को अहिंसापूर्ण बताया। स्वास्तिक जलाना, गाय को काट कर कमल पर दिखाना, आजादी के नारे, तेरा बाप भी देगा आजादी, खिलाफत की बातें, बुर्के में हिंदू औरतों को दिखाना, ये भी एक तरह की हिंसा है। इसे वैचारिक हिंसा कहते हैं। जिसको आप जैसे वामपंथी समय-समय पर कोट करते रहते हैं।