केंद्र सरकार ने चुनाव से पहले बड़ा क़दम उठाते हुए सामान्य वर्ग के पिछड़ों को 10 फ़ीसदी आरक्षण देने के फ़ैसले पर मुहर लगा दी है। इस फ़ैसले से सामान्य वर्ग के ग़रीबों के लिए सरकारी नौकरी और शिक्षा के क्षेत्र में 10 फ़ीसदी आरक्षण के प्रस्ताव को कैबिनेट की मंज़ूरी मिल गई है।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस बाबत कैबिनेट बैठक के बाद जानकारी दी। एससीएसटी एक्ट (SC/ST Act) पर मोदी सरकार के इस फ़ैसले के बाद सवर्ण जातियों में नाराज़गी को दूर करने और हाल के दौरान हुए चुनाव में मिली हार के मद्देनज़र इसे सवर्णों को अपने साथ लाने की कोशिश समझा जा सकता है। मोदी सरकार के फ़ैसले से सियासत के साथ-साथ ख़ास विचारधारा के बुद्धिजीवियों में हड़कंप मच चुका है।
जानकारी के मुताबिक़, मंगलवार यानि कल मोदी सरकार संविधान संशोधन बिल संसद में पेश कर सकती है और मंगलवार को ही संसद के शीतकालीन सत्र का आख़िरी दिन भी है।
सूत्रों की मानें तो इस फ़ैसले के तहत आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान किया जाएगा। मोदी सरकार के इस फ़ैसले को ऐतिहासिक फ़ैसले के तौर पर देखा जा सकता है। पहले भी कई अन्य राज्यों से सवर्ण आरक्षण की माँग उठ रही थी जिसे अब जाकर अमली जामा पहनाया गया।
भाजपा नेता शाहनवाज़ हुसैन ने इस फ़ैसले का स्वागत करते हुए कहा कि सवर्ण समुदाय पिछले काफी समय से इस आरक्षण की माँग कर रहे थे। उथल-पुथल भरे राजनीति के तमाम समीकरणों के इतर यह मान लेना चाहिए कि मोदी सरकार का यह फ़ैसला सवर्ण समाज को मज़बूत करने के लिए एक ठोस क़दम है, निश्चित तौर पर इसके दूरगामी परिणाम भी देखने को मिलेंगे।
जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार के इस नए फॉर्मूले को लागू करने के लिए आरक्षित कोटा बढ़ाया जाएगा, क्योंकि फ़िलहाल भारतीय संविधान में आर्थिक आरक्षण की व्यवस्था मौजूद नहीं है। इन परिस्थितियों में सरकार के पास आरक्षण संबंधी इस फ़ैसले को अमली जामा पहनाने का एकमात्र रास्ता संविधान संशोधन ही है।
आइये इस बात को थोड़ा और नज़दीक से समझते हैं और इसके तक़नीकी पहलू पर भी एक नज़र डालते हैं। मीडिया सूत्रों की मानें तो जिन लोगों की पारिवारिक आय 8 लाख रुपये सालाना से कम है केवल उन्हें ही इस 10 फ़ीसदी के आरक्षण का लाभ मिलेगा। इसके अलावा शहर में 1,000 फीट से छोटे मकान और 5 एकड़ से कम कृषि भूमि की शर्त भी रखे जाने की ख़बरें हैं।
संविधान संशोधन की ज़रूरत
ध्यान देने वाली बात यह भी है कि भले ही 10 फ़ीसदी आरक्षण को कैबिनेट ने मंज़ूरी दे दी हो, लेकिन इसे लागू करने की डगर अभी भी मुश्किल है। इस फ़ैसले को ठोस स्वरूप देने के लिए सरकार को संविधान में संशोधन करने की ज़रूरत पड़ेगी और इसके लिए उसे संसद में अन्य दलों के समर्थन की भी आवश्यकता होगी। ऐसा करने के लिए मोदी सरकार को थोड़ी विषम परिस्थितियों का सामना भी करना पड़ सकता है।
संविधान संशोधन के तहत अनुच्छेद 15 और 16 संशोधित होंगे। अनुच्छेद 15 क्लॉज़ 4 के अनुसार सरकार किसी भी सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्ग के लिए विशेष प्रावधान कर सकती है।
संभव है कि इसी क्लॉज़ में संशोधन हो और उसमें आर्थिक पिछड़ेपन को भी जोड़ा जाए। अनुच्छेद 16 क्लॉज़ 4 के अनुसार भी सरकारी नौकरियों में सरकार किसी भी पिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण की व्यवस्था कर सकती है जिसे संशोधित कर इसमें आर्थिक पिछड़ेपन का प्रावधान किया जा सकेगा।
हालाँकि, कैबिनेट से मंज़ूरी मिलने के बाद कई पार्टियों ने इस फ़ैसले का स्वागत किया है जिसमें बीजेपी की धुर विरोधी पार्टी कॉन्ग्रेस भी शामिल है। इसके अलावा एनसीपी (राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी) और आम आदमी पार्टी ने भी इस फ़ैसले का समर्थन किया है।
बता दें कि केंद्र और राज्यों में पहले ही अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फ़ीसदी और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लिए 22 फ़ीसदी आरक्षण की व्यवस्था है। कई राज्यों में आरक्षण का प्रतिशत 50% से भी ज़्यादा है।