हिमाचल प्रदेश सरकार पुरानी पेंशन योजना लागू कर के चर्चा में आई थी, जिसके बाद ये सवाल उठा था कि क्या इस लोक-लुभावन फैसले से सरकारी खजाने पर गलत असर नहीं पड़ेगा? अब सामने आया है कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस सरकार 10 महीनों में 11,000 करोड़ रुपए का लोन ले चुकी है। यानी, कॉन्ग्रेसी राज्य सरकार ने हर महीने औसतन 1100 करोड़ रुपए का ऋण लिया। प्रदेश भाजपा प्रवक्ता महेंद्र धर्माणी और प्रदेश सह मीडिया प्रभारी स्वदेश ठाकुर ने इन आँकड़ों को लेकर सरकार को घेरा।
भाजपा नेताओं ने कहा कि राज्य के विकास और जनता के हित की योजनाओं में इनमें से एक रुपया भी खर्च नहीं किया गया है। RTI के माध्यम से निकाली गई सूचना की मानें तो 10 महीने में हिमाचल प्रदेश की सरकार ने 10,300 करोड़ रुपए का लोन ले चुकी है, वहीं 1000 करोड़ का लोन इसने अन्य संस्थाओं से लिया है। इस दौरान न कोई नया संस्थान खोला गया और न ही पुराने संस्थानों को अपग्रेड किया गया। यहाँ तक कि स्वास्थ्य विभाग में भी एक भी डॉक्टर या पैरामेडिकल कर्मचारी की नियुक्ति नहीं हुई।
प्रदेश भाजपा ने आरोप लगाया है कि अन्य विभागों का भी यही हाल है, ऐसे में साफ़ है कि इसके 5 वर्षों के कार्यकाल में न तो कोई भर्ती होनी है और न ही कोई विकास कार्य। भाजपा ने आशंका जताई है कि ऋण लेने का क्रम इसी तेज़ी से जारी रहा तो 5 साल में ये सरकार 60,000 करोड़ रुपए से भी अधिक का लोन लेकर हिमाचल प्रदेश को कंगाली की तरफ धकेल देगी। प्रदेश भाजपा ने आरोप लगाया है कि हिमाचल में सिर्फ वही योजनाएँ चल रही हैं, जिनके लिए मोदी से पैसा मिल रहा है।
Can you believe it?#HimachalPradesh CONgress Govt has taken loans of ₹11300 Crore in last 10 months.
— BhikuMhatre (@MumbaichaDon) November 5, 2023
Not for rehabilitation work for those affected by devastating rains as there was seperate Relief Fund & CENTRE's Aid from PMNRF.
No New Development Work!
Where is Money…
आरोप है कि जहाँ एक तरफ कॉन्ग्रेस सरकार पैसों की कमी का रोना रोती है, वहीं दूसरी तरफ नियम-कानूनों को ताक पर रख कर कई मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति कर दी जाती है। कैबिनेट रैंक के कई नए पद गठित कर के उन पर मनपसंद व्यक्तियों को बिठा देने का आरोप भी लगा है। भाजपा का कहना है कि इन्हीं लोगों के ऐशोआराम पर 11,000 करोड़ रुपए ऋण लेकर खर्च किया गया है। पिछली सरकारों के मुकाबले ये सरकार तेज़ी से लोन ले रही है।