Sunday, November 24, 2024
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BPSC पास महिला टीचर, झोपड़ी में जमीन पर बैठ कर जॉइनिंग: बिहार के स्कूल के पास भवन तक नहीं, शिक्षा व्यवस्था का उड़ा मजाक

वायरल वीडियो पश्चिमी चम्पारण के प्राथमिक विद्यालय गोबरही का बताया जा रहा है। नवनियुक्ति शिक्षिका जब जमीन पर बैठकर जॉइनिंग कर रही थी, तभी किसी ने घूम-घूम कर वहाँ का वीडियो बना लिया।

बिहार का एक वीडियो वायरल हो रहा है जहाँ बीपीएससी पास एक टीचर की जॉइनिंग किसी विद्यालय भवन में नहीं बल्कि झोपड़ी में हुई। दरअसल, यहाँ ना तो स्कूल की कोई बिल्डिंग है और ना ही कोई स्टूडेंट। दूर-दूर तक केवल जंगल ही जंगल दिखाई देता है। यहाँ पर दो-तीन झोपड़ी दिखाई दे रही है। बताया जा रहा है कि इस स्कूल में एक भी बच्चे पढ़ने नहीं आते हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम चम्पारण जिले के एक विद्यालय में चयनित हुई एक शिक्षिका का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में दिख रहा है कि चार-पाँच लोग जमीन पर बैठकर  BPSC की नवनियुक्त शिक्षिका की जॉइनिंग करा रहे हैं। वहाँ बैठने के लिए कोई कुर्सी भी नहीं है। जमीन पर गमछा बिछाकर हेड मास्टर बैठे हुए हैं और नई टीचर का स्वागत जमीन पर बैठकर रहे हैं। इससे बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठ रहा है। 

सोशल मीडिया X पर इस वीडियो को योगेश साहू नामक एक व्यक्ति ने शेयर किया है, जिसमें दिखाया जा रहा है कि बिहार के बेतिया जिले में जमीन पर बैठकर नवनियुक्त बीपीएससी शिक्षिका जॉइनिंग कर रही हैं। ये वीडियो गुरुवार (16 नवंबर, 2023) का बताया जा रहा है। इसमें दिख रहा है कि शिक्षिका जमीन पर बैठकर पेपर पर साइन कर रही है। अगल-बगल में कुछ दूसरे शिक्षक खड़े हैं।

वायरल वीडियो पश्चिमी चम्पारण जिले के बैरिया प्रखंड के सूरजपुर पंचायत के प्राथमिक विद्यालय गोबरही का बताया जा रहा है। नवनियुक्ति शिक्षिका जब जमीन पर बैठकर जॉइनिंग कर रही थी, तभी किसी ने घूम-घूम कर वहाँ का वीडियो बना लिया।

वीडियो के अनुसार, यह स्कूल शहरी क्षेत्र से बाहर है और इसमें सिर्फ दो झोपड़ियाँ हैं जिन्हें स्थानीय लोगों ने बनाया है. विद्यालय में कुल चार शिक्षक हैं, जिसमें एक महिला शिक्षिका भी हैं, लेकिन विद्यालय के 55 बच्चों में उपस्थिति शून्य है. स्कूल के प्रिंसिपल के अनुसार, नवनियुक्त शिक्षिका ने 16 नवंबर को विद्यालय का दौरा किया था। यह वीडियो उसी दिन का बताया जा रहा है। 

गौरतलब है कि वीडियो वायरल होने के बाद जहाँ बिहार की शिक्षा व्यवस्था का सोशल मीडिया पर मजाक उड़ाया जा रहा है वहीं कहा जा रहा है कि प्रिंसिपल हर साल विद्यालय बनाने के लिए विभाग को आवेदन पत्र देते हैं। 2009 में एक बार, विद्यालय बनाने के लिए विभाग ने पैसा भी भेजा था, लेकिन नदी के किनारे स्थित विद्यालय के कारण प्रिंसिपल ने तब उस पैसे को वापस भेज दिया था। उसके बाद से अब तक, विद्यालय बनाने के लिए कोई अन्य पैसा नहीं आया है। जिससे विद्यालय झोपड़ियों के सहारे नाम का खड़ा है जहाँ न कोई भवन है और कोई छात्र। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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