कमलेश तिवारी हत्याकांड के आरोपित अशफाक और मोइनुद्दीन के पकड़ में आने के बाद हत्या की साजिश से जुड़े कई चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। कल तक जहाँ पूछताछ में ये मालूम चला था कि दोनों को अपने किए जुर्म का कोई पछतावा नहीं है। वहीं आज पता चला है कि दोनों हत्यारे हत्या करने के बाद पुलिस को आत्मसमर्पण करना चाहते थे, लेकिन उन्हें इसके निर्देश नहीं दिए गए, इसलिए वो दोनों दोबारा गुजरात के लिए रवाना हो गए।
हत्याकांड की जाँच से जुड़े पुलिस अधिकारी ने बताया,” इनके प्लान के अनुसार, नागपुर से गिरफ्तार हुआ सैयद आसिम अली इनको आत्मसमर्पण के लिए निर्देश देने वाला था, लेकिन अली की गिरफ्तारी के बाद इन्हें कोई निर्देश नहीं मिला, इसलिए इन्होंने दोबारा गुजरात जाने का फैसला किया।”
गौरतलब है कि अशफाक और मोइनुद्दीन की गिरफ्तारी गुजरात-राजस्थान के बॉर्डर के पास मंगलवार की रात हुई थी। जिसके बाद इन्हें गुजरात एटीएस ने मामले की जाँच में जुटी यूपी पुलिस को सौंप दिया था।
गुजरात एटीएस के डीआईजी हिमांशु शुक्ला ने मीडिया से बातचीत में बुधवार (अक्टूबर 23, 2019) को बताया कि तिवारी को गोली मारने के दौरान अशफाक का निशाना चूक गया था, जिस कारण गोली मोइनुद्दीन के हाथ में जा लगी थी। लेकिन मोइनुद्दीन ने अपने हाथ में रुमाल बाँधी और बाद में तिवारी का गला काट दिया। इस दौरान अशफाक के हाथ में भी चाकू लगा। हत्या को अंजाम देने के बाद दोनों वहाँ से फरार हो गए। इसके बाद अशफाक जो कि एक निजी कंपनी में मेडिकल रिप्रेसेंटेटिव है, उसने मेडिकल स्टोर से मरहम पट्टी खरीदी और लखनऊ के होटल पहुँचकर अपना और मोइनुद्दीन का इलाज किया।
यहाँ बता दें कि दोनों हत्यारों की गिरफ्तारी के बाद अब गुजरात एटीएस उन लोगों की तलाश में है, जिन्होंने उसे बंदूक मुहैया करवाई। गुजरात एटीएस के डिप्यूटी एसपी केके पटेल के अनुसार, “हमें उस शख्स का नाम पता चल चुका है, जिसने अशफाक को पिस्टल दी। हमारी टीम उसे पकड़ने उसे उसके घर भी गई, लेकिन वो वहाँ से गायब हो चुका था। हम उसे जल्द गिरफ्तार कर लेंगे।”
इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार जाँच में जुटे अधिकारियों ने बताया कि हत्या करने के बाद दोनों आरोपित खुद को बचाने के लिए तीन राज्यों में भटके- यूपी, दिल्ली और राजस्थान। उन्होंने बरेली के रेलवे स्टेशन पर भी एक रात गुजारी और नेपाल तक भी गए। लेकिन खुद को बचा नहीं पाए। जाँच अधिकारी के अनुसार गुजरात के शामलाजी के नजदीक से गिरफ्तार होने से पहले ये दोनों ट्रेन, बस, टैक्सी और ट्रक की मदद से 2000 किमी का सफर तय कर चुके थे।
उत्तर प्रदेश पुलिस अधिकारी के अनुसार, “हत्या करने के बाद ये दोनों बरेली गए, वहाँ इन्होंने रेलवे स्टेशन पर रात गुजारी। फिर ये लखीमपुर खेरी आए और वहाँ से नेपाल गए। नेपाल से लौटे तो दोनों दोबारा लखीमपुर खेरी गए और वहाँ से शाहजहाँपुर की ओर रवाना हुए। कुछ समय बाद ये दिल्ली आए और यहाँ से अजमेर चले गए। अजमेर से ही ये दोनों शामलाजी गए, जहाँ गुजरात-राजस्थान बॉर्डर के पास से इन्हें गिरफ्तार किया गया।“
अभी तक प्राप्त जानकारी के अनुसार बता दें कि अशफाक और मोइनुद्दीन पैसे की कमी होने के कारण पकड़ में आ पाए। जाँच अधिकारियों ने बताया है कि जब ये दोनों अपने घर से निकले, उस समय इनके पास 20 हजार रुपए थे। लेकिन 4 दिन इधर-उधर भटकने के बाद इनके पास से सारे पैसे खत्म हो गए और इन्होंने अपनी परिवार को मदद के लिए फोन किया।
इधर, गुजरात एटीएस ने अशफाक की पत्नी का नंबर सर्विलांस पर लेने की अनुमति ली हुई थी, वे लगातार उसकी पत्नी के फोन पर आने वाली हर कॉल और डिटेल पर नजर बनाए हुए थे। ऐसे में जैसे ही उसने अलग नंबर से अपनी पत्नी को फोन किया, एटीएस को इसकी जानकारी मिल गई। उन्होंने दोनों आरोपितों को पकड़ने के लिए जाल बिछाना शुरू किया और इनकी गिरफ्तारी मुमकिन हुई। इस बीच अशफाक, उसकी पत्नी और उसके पिता में हुई बातचीत की एक ऑडियो भी वायरल हुई। जिसे सुनकर पता लगाया जा सकता है कि अशफाक के गुनाहों का पता होने पर भी उसका परिवार उसका साथ देने को तैयार था।
यहाँ उल्लेखनीय है कि दोनों आरोपित तिवारी की हत्या करके लखनऊ के होटल से बरेली के लिए रवाना हुए थे। वहाँ उन्होंने प्रेमनगर निवासी मौलाना कैफी अली से संपर्क किया था और तीन घंटे तक वह उसी मौलाना के घर में रुके थे। बाद में कैफी ने ही दोनों हत्यारों के रुकने की व्यवस्था बरेली के किला क्षेत्र स्थित मदरसे में करवाई थी। हालाँकि इस मामले में अभी कैफी की गिरफ्तारी नहीं हुई है, लेकिन अधिकारियों की मानें तो वे मौलाना कैफी को आरोपितों के सामने लाएँगे, तभी सारी स्थिति साफ होगी। इस हत्या के मामले में अभी तक 5 आरोपितों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जिसमें राशिद पठान, फैजान शेख, मौलाना मोहसिन शेख सूरत से धरे गए हैं, और बाकी दोनो हत्यारे गुजरात-राजस्थान बॉर्डर से।