Sunday, November 17, 2024
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‘जिंदा आग में झोंक दिया, हिन्दुओं की पहचान कर-कर के हत्या की कोशिश’: जिन पत्रकारों ने कभी चलाई इनके दुख-दर्द की खबरें, हल्द्वानी में उन्हीं पर हमला

पत्रकार ने बताया कि वापसी के समय उन्हें और उनके साथियों को लौटते समय घेर लिया गया। पत्थर से हमला किया गया और लाठी-डंडों से पीटा जाने लगा। इसके बाद उन्हें जलती आग में फेंक दिया गया।

उत्तराखंड के नैनीताल के हल्द्वानी स्थित बनभूलपुरा में एक अवैध मस्जिद और मदरसे को ध्वस्त करने पहुँची प्रशासन की टीम पर हमला कर दिया गया। न सिर्फ थाना और पेट्रोल पंप फूँक दिया गया, बल्कि पुलिसकर्मियों को ज़िंदा जलाने की भी कोशिश की गई। महिला पुलिसकर्मियों को बदहवास अवस्था में भागते हुए देखा गया, उनके कपड़े तक फाड़ डाले गए। पत्थरबाजी हुई, गोलीबारी हुई। आम लोगों या पुलिस तो छोड़ दीजिए, पत्रकारों तक पर जानलेवा हमले किए गए।

इन्हीं पीड़ित पत्रकारों में से एक हैं राष्ट्रीय मीडिया संस्थान के लिए काम करने वाले राज सिंह (बदला हुआ नाम, स्थानीय स्तर पर कट्टर इस्लामी लोगों से खौफ के कारण)। ऑपइंडिया ने घायल पत्रकार से मिल कर जाना कि गुरुवार (8 फरवरी, 2024) को क्या हुआ था। राज सिंह को आग में ज़िंदा झोंकने की कोशिश की गई। उन्होंने बताया कि उस दिन उनका ऑफ था, लेकिन साढ़े 3 बजे के करीब दफ्तर से कॉल आया कि वो जल्द मलिक के बगीचे में पहुँच जाएँ। वहाँ उन्होंने देखा कि अवैध मदरसा और मस्जिद को पुलिस ने सील कर रखा था और प्रशासन उसे तोड़ने वाला था।

उन्होंने बताया कि वहाँ नगर निगम की टीम पहुँची और विरोध शुरू हो गया, जिसे मीडिया वाले कवर कर रहे थे। राज सिंह ने बताया कि उसी समय चारों तरफ से आगजनी शुरू हो गई, पत्रकार लोग भीतर घिरे हुए थे। तभी पत्थरबाजी शुरू हो गए, आँसू गैस के गोले भी चले। उन्होंने बताया कि वापसी के समय उन्हें और उनके साथियों को लौटते समय घेर लिया गया। पत्थर से हमला किया गया और लाठी-डंडों से पीटा जाने लगा। राज सिंह ने बताया कि उन्हें नाली में फेंक दिया गया।

उन्होंने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि उसके बाद जलती हुई आग में उन्हें झोंक दिया गया। बकौल राज सिंह, उनके सिर से काफी खून बह रहा था और वो होश में नहीं थे, ऐसे में वो हमलावरों को पहचान नहीं पाए। वो उनका कैमरा भी छीन कर ले गए। उन्होंने बताया कि भयंकर धुआँधार गोलियों की आवाज़ें आ रही थीं। उन्होंने संपादक को फोन कर के इसकी सूचना दी, फिर उनके परिचितों के फोन आने लगे। एक भाजपा नेता की मदद से वो गलियों से किसी तरह बाहर निकले।

राज सिंह की एक उँगली फ्रैक्चर हो गई है। उन्होंने बताया कि ईंट-पत्थर फेंके जा रहे थे। उनके अनुसार सिर पर नजदीक से ईंट-पत्थर चलाए जा रहे थे, कई छोटे-छोटे बच्चे भी हमलावरों में शामिल थे। राज सिंह के परिवार में उनकी पत्नी और 2 बेटे हैं। उन्होंने बताया कि उन्होंने उम्मीद छोड़ दी थी कि वो इस स्थिति से बाहर निकल पाएँगे, वो भगवान का नाम लेने लगे थे। उन्होंने कहा कि पहले यहाँ ऐसा नहीं हुआ था, अब पत्रकारों को भी पीटा जा रहा है।

राज सिंह ने बताया, “कोई भी कार्यक्रम होता था तो हम अच्छे से कवर करते थे। पहले हम रात-रात तक रुक कर कवर करते थे। सबकी पीड़ा दिखाते थे, अख़बारों की फाइलें देख लीजिए। जो भी हुआ वो उम्मीद से परे था, इसकी कल्पना हमने नहीं की थी। जितने भी पत्रकार थे, लगभग सभी को पीटा गया।”

एक अन्य पत्रकार ने बताया कि पिछले साल जब कोर्ट ने अतिक्रमण हटाने का फैसला दिया था तब वो लोग बनभूलपुरा के मुस्लिम समाज के साथ खड़े थे। इस पत्रकार ने बताया कि पत्रकार, नगर निगम और पुलिस में से खोज-खोज कर हिन्दू छाँटे गए, फिर उनकी हत्या की तैयारी बनी। उन्होंने कहा कि अगर गाँधीनगर के हिंदुओं ने हमें न बचाया होता तो कोई भी जिंदा न बचता। ये सब कहना है ‘DNN न्यूज़’ के पत्रकार पंकज अग्रवाल का।

उन्होंने बताया कि JCB पहुँचते ही पथराव चालू हो गया और पेट्रोल बम फेंक कर गाड़ियाँ जलाई गईं। उनके पाँव में चोटें आईं, उन्हें इलाज कराना पड़ा। उन्होंने बताया कि अगर हेलमेट न पहना होता तो और भी स्थिति ख़राब होती।

उन्होंने बताया कि ये वही लोग हैं जिनके समर्थन में अच्छी-अच्छी खबरें उन्होंने चलाई थीं, ताकि सरकार इनका कोई नुकसान न करे। पंकज अग्रवाल ने कहा कि केवल हिन्दुओं को निशाना बनाए जाने की साजिश थी। उन्होंने बताया कि हिन्दू पत्रकारों और सफाई कर्मचारियों की पहचान कर के उन्हें मारा गया। पंकज का कहना है कि पुलिस वालों और पत्रकारों को गिन-गिन कर मारा जा रहा था। दोनों पत्रकारों का कहना था कि जिनके लिए उन्होंने सकारात्मक खबरें पिछले साल चलाई थीं, उन्होंने ही उन्हें पीटा।

इससे पहले अस्पताल में इलाज कराने आए ‘HNN न्यूज़’ के घायल पत्रकार पंकज सक्सेना से ऑपइंडिया ने बातचीत की, जिन्होंने बताया था कि भीड़ नाम पूछ-पूछ कर मार रही थी, मुस्लिम होने पर छोड़ दिया जा रहा था। उनके हाथ और पाँव में फ्रैक्चर हुआ है। उनके पाँव में जहाँ प्लास्टर लगा है, वहीं हाथ में भी उन्होंने बैंडेज पहन रखा गया। उन्होंने बताया कि वहाँ पहले से साजिश रच कर 8-10 हजार लोग खड़े थे, जिन्होंने पत्थरबाजी शुरू कर दी और पेट्रोल बम फेंकने लगे।

अपडेट: पहले प्रकाशित खबर में एक राष्ट्रीय मीडिया संस्थान से जुड़े पत्रकार का नाम और उनकी फोटो लगी थी। सुरक्षा कारणों से उनके संस्थान का नाम, पत्रकार का नाम और फोटो आदि छिपा कर खबर को अपडेट किया गया है।

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राहुल पाण्डेय
राहुल पाण्डेयhttp://www.opindia.com
धर्म और राष्ट्र की रक्षा को जीवन की प्राथमिकता मानते हुए पत्रकारिता के पथ पर अग्रसर एक प्रशिक्षु। सैनिक व किसान परिवार से संबंधित।

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