आयकर विभाग द्वारा 3500 करोड़ रुपए की टैक्स की माँग के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुँची कॉन्ग्रेस को फिलहाल राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान आयकर विभाग ने सोमवार (1 अप्रैल 2024) को कहा कि लोकसभा चुनावों के मद्देनजर वह कॉन्ग्रेस के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेगा, क्योंकि वह पार्टी के लिए परेशानी खड़ी करना नहीं चाहता है।
बार एंच बेंच के अनुसार, इस मामले की सुनवाई जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच में हुई। आयकर विभाग की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (SG Mehta) पेश हुए। दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केस की अगली सुनवाई 24 जुलाई के लिए तय की है।
#BREAKING Solicitor General tells #SupremeCourt that no coercive steps under the Income Tax will be taken against Congress party with regard to demand of Rs 3500 crores till the second week of June in view of the elections #Congress #SupremeCourtOfIndia https://t.co/gj7T56OulC
— Live Law (@LiveLawIndia) April 1, 2024
मामले की सुनवाई करते हुए बेंच ने कहा, “इन अपीलों में जो मुद्दे उठे हैं उन पर अभी निर्णय होना बाकी है, लेकिन अब की स्थिति को ध्यान में रखते हुए (आयकर) विभाग इस मामले को तूल नहीं देना चाहता है और कहता है कि इस संबंध में लगभग ₹3,500 करोड़ की कर माँग को लेकर कोई भी कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा। इस मामले को जुलाई के दूसरे सप्ताह में सूचीबद्ध करें।”
एसजी मेहता ने कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी ने इस साल आयकर बकाया के लगभग ₹134 करोड़ का भुगतान किया है। इसके बाद पहले से निर्धारित मानदंडों के आधार पर अब ₹1,700 करोड़ की अतिरिक्त माँग की गई है। केंद्र सरकार के वकील ने अदालत को आश्वस्त किया कि लंबित बकाये की वसूली लोकसभा चुनाव के बाद तक के लिए टाल दी जाएगी।
वहीं, कॉन्ग्रेस की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, “27, 28, 29 मार्च को… एक ब्लॉक मूल्यांकन हुआ… उन्होंने (आयकर प्राधिकरण) संपत्तियों की कुर्की से 135 करोड़ रुपये एकत्र किए हैं… हम (कॉन्ग्रेस) कोई लाभ कमाने वाला संगठन नहीं हैं और केवल एक राजनीतिक दल हैं।”
बता दें कि आयकर विभाग द्वारा मूल्यांकन वर्ष 2014-15, 2015-16 और 2016-17 के पुनर्मूल्यांकन शुरू किया गया था। इसके बाद पार्टी इस पर रोक लगाने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट पहुँची थी। हालाँकि, हाई कोर्ट ने कॉन्ग्रेस की इस याचिका को 22 मार्च को खारिज कर दिया था।
इसके बाद आयकर विभाग ने मूल्यांकन वर्ष 2017-18, 2018-19, 2019-20 और 2020-21 के लिए भी पुनर्मूल्यांकन शुरू कर दिया। इसके खिलाफ भी कॉन्ग्रेस दिल्ली हाई कोर्ट पहुँची, लेकिन 28 मार्च 2024 को उच्च न्यायालय इसे भी खारिज कर दिया।
इसके ठीक एक दिन बाद 29 मार्च 2024 को कॉन्ग्रेस ने कहा कि उसे मूल्यांकन वर्ष 2017-18 और 2020-21 के लिए 1,823 करोड़ रुपए के कर चुकाने के नोटिस मिले। आयकर विभाग ने पार्टी को तीन और नोटिस जारी किए हैं, जिससे कुल कर माँग 3,567 करोड़ रुपए हो गई हैं।