Saturday, November 23, 2024
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कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका लेकर गई मुस्लिम लड़की, कहा- 12वीं से पहले निकाह की न हो इजाजत: मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने खारिज की PIL

नाजिया इलाही खाने कहा कि राज्य सरकार की इस तरह की निष्क्रियता ने मुस्लिम लड़कियों की तकलीफों को और बढ़ा दिया है, जिसके कारण उन्हें और भी अधिक हाशिए पर धकेल दिया है। इस आधार पर उन्होंने हाई कोर्ट से हस्तक्षेप की माँग की थी। हालाँकि, हाई कोर्ट ने इस आवेदन को खारिज कर दिया।

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार (18 अप्रैल 2024) को निकाह से संबंधित एक मुस्लिम महिला की जनहित याचिका (PIL) को खारिज कर दी। इस याचिका में कोर्ट से आग्रह किया गया था कि वह राज्य के अधिकारियों को निर्देश दे कि बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करने तक किसी भी मुस्लिम लड़की को निकाह करने की अनुमति नहीं देने का आदेश जारी करें।

कलकत्ता हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा कि स्कूल शिक्षा मंत्री को दिए गए अभ्यावेदन पर विचार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा, “किसी भी स्थिति में यह नीतिगत मामले से संबंधित है। जैसा कि माँग किया गया है कि कोई आदेश जारी नहीं किया जा सकता। इसे खारिज किया जाता है।”

यह याचिका नाज़िया इलाही खान नाम की एक मुस्लिम महिला ने दायर की थी। नाजिया ने अदालत को बताया कि उन्होंने राज्य के अधिकारियों से सभी मुस्लिम लड़कियों के लिए निकाह से पहले कम-से-कम बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य बनाने के लिए आग्रह किया था, लेकिन उनके अनुरोध पर वे कार्रवाई करने में विफल रहे हैं।

बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिकग, नाजिया इलाही खान ने अपनी याचिका में कहा, “यह मुद्दा बड़े पैमाने पर जनता, विशेषकर इस्लामी समुदाय को प्रभावित करता है।” उन्होंने दावा किया कि मुस्लिम लड़कियों के लिए कम से कम बारहवीं कक्षा तक पढ़ाई करना असंभव हो गया है, क्योंकि उनके लिए निकाह करना बेहतर समझा जाता है।

याचिकाकर्ता ने आगे दावा किया, “मुस्लिम समुदाय की युवा लड़कियों की निकाह तब कर दी जाती है, जब वह युवावस्था या किशोरावस्था की उम्र प्राप्त कर लेती है, जो लगभग बारह साल की उम्र से शुरू होती है।” नाजिया खान ने 12 फरवरी को इस संबंध में एक अभ्यावेदन दायर किया था और आरोप लगाया था कि तब से राज्य द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है।

नाजिया इलाही खाने कहा कि राज्य सरकार की इस तरह की निष्क्रियता ने मुस्लिम लड़कियों की तकलीफों को और बढ़ा दिया है, जिसके कारण उन्हें और भी अधिक हाशिए पर धकेल दिया है। इस आधार पर उन्होंने हाई कोर्ट से हस्तक्षेप की माँग की थी। हालाँकि, हाई कोर्ट ने इस आवेदन को खारिज कर दिया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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