Ola के संस्थापक भविष अग्रवाल ने LinkedIn पर निशाना साधा है। बता दें कि कभी दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति रहे बिल गेट्स द्वारा स्थापित Microsoft के अधिपत्य वाली कंपनी LinkedIn को सामान्यतः प्रोफेशनल सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के रूप में देखा जाता है, जहाँ लोग करियर संबंधी बातें करते हैं, एक-दूसरे की प्रोफेशनल गतिविधियों को देखते हैं और ब्रांड्स के साथ नौकरियों के लिए संपर्क बनाते हैं। हालाँकि, अब ये अपना Woke एजेंडा भारत पर भी थोपने में लग गया है।
बताते हैं कि मामला क्या है। असल में हुआ कुछ यूँ कि भविष अग्रवाल के एक पोस्ट को LinkedIn ने हटा दिया। इस पोर्ट में उन्होंने ‘Pronoun Illness’ की बात की थी, यानी प्रोनाउन के इस्तेमाल को लेकर फैलाई जा रही बीमारी। बता दें कि LGBTQIA+ में रोज नया अक्षर जुड़ता जा रहा है और नए-नए लैंगिक पहचान सामने आते जा रहे हैं। कोई लड़की खुद को लड़का समझने लगती है, कोई लड़का पता कर रहा होता है कि वो क्या है, तो कोई खुद को दोनों समझता है।
अब दिक्कत ये है कि जो नैसर्गिक रूप से समलैंगिक हैं, उनका भारतीय सभ्यता में हमेशा सम्मान किया जाता है। भारत में तो ‘किन्नर अखाड़ा’ भी है, जिसके महामंडलेश्वर आचार्य लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी हैं। भारत में किसी भी शुभ मौके पर ट्रांसजेंडर समुदाय को बुलाया जाता है, उन्हें तोहफों से नवाजा जाता है। बच्चे के जन्म से लेकर शादी-विवाह तक के मौकों पर उनका आना शुभ माना जाता है, उनका आशीर्वाद शुभ माना जाता है। हाँ, अचानक से उम्र के किसी पड़ाव में कोई खुद को कुछ समझने लगे तो ये मानसिक समस्या हो सकती है।
अब बताते हैं कि भविष अग्रवाल के उस पोस्ट में था क्या। उनका आरोप था कि LinkedIn का AI चैटबॉट भारत पर एक खास राजनीतिक विचारधारा को थोप रहा है। उन्होंने इसे असुरक्षित और पापपूर्ण करार दिया। उलटा LinkedIn ने इस पोर्ट को ही औसरक्षित की श्रेणी में डाल दिया। भविष अग्रवाल ने बताया कि इसी कारण हमें भारत में अपनी तकनीक और AI मॉड्यूल विकसित करने की आवश्यकता है। उनका मानना है कि ऐसा नहीं होता है तो हम विदेशी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हाथों मोहरा बनते रहेंगे।
असल में LinkedIn के AI से जब पूछा गया कि भविष अग्रवाल कौन हैं, तो उसने उनके लिए ‘He/Him’ प्रोनाउन की जगह ‘They/Them’ का प्रयोग किया। यानी, अब पुरुषों के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ‘He/Him’ और महिलाओं के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला ‘She/Her’ को पश्चिमी जगत में ‘पक्षपाती’ बताया जाने लगा है। LGBTQIA+ एक्टिविस्ट कहते हैं कि प्रोनाउन पक्षपाती है, क्योंकि इसमें उनके समुदाय के लिए अलग व्यवस्था नहीं है।
इसीलिए, वो सबके लिए एक प्रोनाउन यानी ‘They/Them/Their’ के इस्तेमाल पर ज़ोर देते हैं। भविष अग्रवाल पुरुष हैं, वो खुद को पुरुष मानते भी हैं, ऐसे में उनके लिए इस तरह की शब्दावली का प्रयोग किया जाना उन्हें पसंद नहीं आया। उन्होंने इसे पश्चिमी सभ्यता की बीमारी करार दिया। उन्होंने कहा कि अब बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ इसे भारत में भी फैला रही हैं। बता दें कि Woke दिखने के चक्कर में जैसा एक्टिविस्ट्स कहते हैं, वैसा ही अनुसरण करते हैं।
Dear @LinkedIn you deleted my post again! This time you didn’t even notify me or leave a trace since you removed the whole thread. Luckily my team takes screenshots 😉
— Bhavish Aggarwal (@bhash) May 10, 2024
You can delete this one too but you can’t remove my opinion. Since you’re owned by @Microsoft, I will be… pic.twitter.com/z4S93WVWFq
भविष अग्रवाल ने इस पोस्ट को डिलीट कर दिए जाने के बाद LinkedIn पर निशाना साधते हुए कहा कि वो उनके इस पोस्ट को भी हटा सकता है, लेकिन लेकिन वो इसका विरोध जारी रखेंगे। इसके बाद सोशल मीडिया में माँग उठने लगी कि भारत को अपना AI विकसित करने की ज़रूरत है। लोगों का पूछना है कि क्या हम विदेशी तकनीक के लिए हम अपने मूल्यों से समझौता कर रहे हैं। याद दिला दें कि वेस्ट में ये समुदाय अक्सर नंगा होकर सड़क पर प्रदर्शन भी करता है और खुद की उपस्थिति का एहसास जताता है।