Saturday, November 23, 2024
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पैसा दो, मुस्लिम बनो या फिर घर छोड़ दो… इस्लामी आतंकियों का ईसाइयों को अल्टीमेटम, रिपोर्ट्स में बताया- माली की 71 लाख जनता पीड़ित

ओपन डोर्स की रिपोर्ट कहती है कि इस्लामी जिहादी अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में ईसाईयों का अस्तित्व लगातार खत्म कर रहे हैं। ईसाइयों की मिशनरी और खास तौर पर महिलाएँ इस्लामी आतंकियों के निशाने पर हैं। ऐसी ही एक घटना में टिम्बकटू में स्विस ईसाई मिशनरी बीट्राइस स्टॉकली का 2016 में आतंकवादियों ने अपहरण करके मार दिया था।

पश्चिम अफ्रीका के देश माली में इस्लामी आतंकी समूहों ने ईसाई नागरिकों को इस्लाम कबूल कर लड़ने और पैसे देने या फिर घर छोड़ने का अल्टीमेटम दिया है। इस्लामी आतंकवाद के कारण अब माली में ईसाइयों के अस्तित्व पर प्रश्न खड़े हो गए हैं। इस्लामी आतंकवादी ईसाइयों को उनका देश की सेना के खिलाफ साथ देने के लिए धमका रहे हैं।

ईसाइयों के उत्पीड़न पर नज़र रखने वाले संगठन ‘ओपन डोर्स’ के अनुसार, इस्लामी आतंकियों ने माली मध्य क्षेत्र में रहने वाले ईसाइयों को धमकी दी है कि वह इस्लाम अपना लें और साथ ही अपना पैसा-रुपया भी आतंकवाद के लिए लड़ने को दें या फिर इलाका छोड़ दें।

इस क्षेत्र के ईसाई पादरियों को यह धमकी दी गई है। ईसाइयों को धमकियाँ देने वाले इस संगठन का नाम जमात नुसरत अल-इस्लाम वाल मुस्लिमीन (JNIM) है। JNIM आतंकवादियों ने ईसाई पादिरयों से बताया कि उन्हें सेना के खिलाफ लड़ने के लिए अपने लोग देने होंगे।

यह ऐसा अकेला मामला नहीं है। इस इलाके में इस्लामी आतंकी ईसाइयों, मुसलमानों और जनजातीय लोगों से ‘ज़कात’ वसूल रहे हैं। ओपन डोर से बात करते हुए, यहाँ के पादरी याबागा डायरा ने कहा, “उनलोगों ने इस जमीन पर कब्जा कर लिया है, उन्हें लगता है कि यह जमीन उनकी है। इसीलिए वह ईसाइयों से ज़कात देने के लिए कह रहे हैं जो मुस्लिमों को देना होता है। मुस्लिम गैर-ईसाई जनजातियाँ पहले से ही इसे अदा कर रही हैं।”

इस्लामी आतंकियों ने 2012 में माली में हमले चालू किए थे। इस दौरान आतंकियों ने सेना पर हमला करके उत्तरी हिस्सा कब्जा लिया था। उन्होंने इस इलाके में शरिया शासन की घोषणा कर दी थी। इस्लामी आतंकियों ने चर्चों, अन्य ईसाई संपत्तियों, स्कूलों और स्वास्थ्य केन्द्रों को भी तबाह कर दिया था।

एक अंतरराष्ट्रीय संगठन के अनुसार, माली में 71 लाख से अधिक लोग वर्तमान में सहायता चाहते हैं। इनमें से 40 लाख ऐसे हैं जिन्हें अपना घर बार छोड़ कर भागना पड़ा है। इस्लामी आतंकी समूह सरकारी कर्मचारियों और संयुक्त की शांति सेना के लोगों को भी मार रहे हैं। माली की सेना अब तक इन इस्लामी आतंकियों से अपना इलाका नहीं वापस छुड़वा सकी है।

2023 में, अमेरिकी विदेश विभाग ने माली पर हमला करने वाले आतंकी संगठनों के बारे में जानकारी दी थी। अमेरिका ने बताया था कि यहाँ मगरेब इलाके में में अल-कायदा और उसके साथअंसार अल-दीन, मैकिना लिबरेशन फ्रंट और अल-मौराबितौने शामिल थे। यह सभी JNIM के बैनर तले इकट्ठा हैं।

इस संगठन में अफ्रीका के सहेल क्षेत्र में ISIS भी शामिल था। यह आतंकी संगठन ऐसे लोगों को निशाना बनाते हैं जिन्हें वह अपनी परिभाषा के अनुसार इस्लाम ना मानने वाला समझते है। इनके पास अफ्रीका का उत्तरी और मध्य क्षेत्र के बड़े हिस्से का नियंत्रण है।

ओपन डोर्स की रिपोर्ट कहती है कि इस्लामी जिहादी अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में ईसाईयों का अस्तित्व लगातार खत्म कर रहे हैं। ईसाइयों की मिशनरी और खास तौर पर महिलाएँ इस्लामी आतंकियों के निशाने पर हैं। ऐसी ही एक घटना में टिम्बकटू में स्विस ईसाई मिशनरी बीट्राइस स्टॉकली का 2016 में आतंकवादियों ने अपहरण करके मार दिया था।

माली के इस्लामी नियंत्रण वाले इलाके में क्षेत्र में गैर-मुस्लिम समुदाय अगर ईसाइयत अपनाता है तो उस पर अत्याचार किए जाते हैं। इसका शक भी होने पर हत्या कर दी जाती है। ईसाइयों को यहाँ उनके खेत और पानी से भी वंचित कर दिया जाता है। यहाँ मुस्लिमों ने जब स्कूल की माँग की तो आतंकियों ने इसमें कुरान और अरबी शिक्षा अनिवार्य कर दी।

इसके अलावा, इस्लाम को फैलाने के लिए इस्लामी आतंकी लड़कियों और कभी-कभी विवाहित महिलाओं का तक अपहरण करते हैं और फिर उनका अपने सदस्यों से निकाह करवा देते हैं। इन महिलाओं को इन आतंकियों का सेक्स स्लेव बन कर रहना पड़ता है।

ईसाई पुरुषों और लड़कों को तक उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। उन्हें इस्लाम कबूल करने और हथियार उठाने के लिए मजबूर किया जाता है। माली के ईसाइयों को मजहबी कारणों सेयात्रा करने में भी कई प्रतिबंधों का सामना करना पड़ता है, उन्हें राजधानी के शहर बमाको के बाहर तक निकलने में दिक्कतें आती हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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