दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने साल 2020 के दिल्ली विरोधी दंगों के दौरान एक मस्जिद और आसपास के घरों में आग लगाने के आरोपित पिता-पुत्र को बरी कर दिया है। कोर्ट ने इसमें आरोपित पिता मिट्ठन सिंह और बेटे जॉनी कुमार को संदेह का लाभ दिया। मोहम्मद मुनाजिर नामक के एक व्यक्ति ने दोनों के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी।
कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने दोनों को बरी करते हुए कहा कि सभी पीड़ित या सार्वजनिक गवाह दोनों आरोपितों की पहचान से मुकर गए थे। सभी ने इन दोनों पिता-पुत्र को दंगाइयों की भीड़ के बीच देखने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि दंगाइयों की भीड़ के बीच अनुमान लगाना सही नहीं है।
कोर्ट ने आगे कहा, “कोई इस बात से इनकार नहीं कर सकता कि ऐसे बयान दोनों आरोपियों के खिलाफ पूर्व-निर्धारित मानसिकता के साथ दिए गए थे या तैयार किए गए थे, जो पहले से ही 05.03.2020 से पुलिस हिरासत में थे।” इसके बाद कोर्ट ने कहा कि दोनों संदेह के लाभ के हकदार हैं और इस आधार पर कोर्ट ने दोनों को इस मामले में बरी कर दिया।
मुनाजिर ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि फातिमा मस्जिद से नमाज पढ़ करके वह अपने घर लौट रहा था। उसी समय उसने अपनी गली में भीड़ देखी थी। उस दौरान भीड़ ने फातिमा मस्जिद के शीशे तोड़कर उसमें आग लगा दी। इसके बाद आसपास के घरों में भी आग लगा दी थी। उसने यह भी आरोप लगाया था कि उसके घर पर पत्थर और गैस सिलेंडर फेंके जा रहे थे और गोलियों की आवाजें आ रही थीं।
मुनाजिर ने आरोप लगाया था कि उसका घर पूरी तरह से जला दिया गया। इसके साथ ही उसने यह भी क हा था कि उसके घर से रखे सोने के गहने और 1,50,000 रुपए नकद भी लूट लिए गए थे। शिकायत के आधार पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली और उसमें मिट्ठन और उसके बेटे जौनी कुमार को नामजद अभियुक्त बनाया। इसमें अज्ञात लोगों को भी शामिल बताया गया था।
इसके बाद 20 दिसंबर 2021 को दोनों पिता-पुत्र के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147 (दंगा करना), 148 (घातक हथियार से लैस होकर दंगा करना), 392 (डकैती), 436 (घर या अन्य इमारत को नष्ट करने के इरादे से आग या विस्फोटक पदार्थों से उत्पात मचाना) और 149 (गैरकानूनी सभा करना) के तहत आरोप तय किए गए थे। हालाँकि, बाप-बेटे की इस जोड़ी ने खुद को निर्दोष बताया था।